अहमदाबाद। 12 जून को एयर इंडिया की फ्लाइट अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के 30 सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में 260 लोगों की मौत हुई, जिनमें 229 यात्री, 12 चालक दल के सदस्य और जमीन पर मौजूद 19 लोग शामिल थे।
दुर्घटना के बाद पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने का एलान किया गया था, लेकिन अब भी कई प्रभावित परिवारों को भुगतान नहीं हुआ है। इस बीच, 65 से अधिक पीड़ित परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले अमेरिकी वकील माइक एंड्रयूज ने मुआवजा वितरण में हो रही देरी की आलोचना की और कहा कि अगर टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा आज जीवित होते, तो स्थिति अलग होती।
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एंड्रयूज ने कहा कि अमेरिका में भी रतन टाटा की पहचान एक विनम्र और संवेदनशील उद्योगपति के रूप में है, जो कर्मचारियों और लोगों की भलाई के प्रति गंभीर रहते थे। उनका मानना है कि रतन टाटा होते तो पीड़ितों और उनके परिजनों को नौकरशाही प्रक्रियाओं से नहीं गुजरना पड़ता और मुआवजा समय पर मिलता।
एयर इंडिया ने 26 जुलाई को 229 मृतकों में से 147 के परिवारों को 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा दिया था। शेष मामलों में भुगतान प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा, टाटा समूह ने पीड़ितों की स्मृति में ‘एआई-171 स्मारक और कल्याण ट्रस्ट’ की स्थापना की है, जो प्रत्येक मृतक के परिवार को 1 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि देने और दुर्घटना में क्षतिग्रस्त बीजे मेडिकल कॉलेज छात्रावास का पुनर्निर्माण कराने के लिए प्रतिबद्ध है।