


केंद्र सरकार एक नया नियम लाने जा रही है जिसका सीधा असर देश के 121 करोड़ मोबाइल उपभोक्ताओं और डिजिटल सेवाओं पर पड़ सकता है। संचार मंत्रालय “दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम 2024” में बदलाव कर रहा है, जिसका उद्देश्य मोबाइल नंबर के जरिए हो रही साइबर धोखाधड़ी को रोकना बताया जा रहा है। लेकिन, प्रस्तावित नियमों के मसौदे को लेकर आलोचना भी हो रही है क्योंकि इससे आम जनता, खासकर ग्रामीण और निम्न-आय वर्ग के लोगों को काफी समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं।
नए प्रस्ताव के अनुसार, सरकार मोबाइल नंबर वैलिडेट करने की एक पेड सर्विस शुरू करेगी। बैंक, वित्तीय संस्थान या डिजिटल प्लेटफॉर्म अपने ग्राहकों के मोबाइल नंबर को वैलिडेट करवाने के लिए सरकार के एमएनवी (मोबाइल नंबर वैलिडेशन) प्लेटफॉर्म से सेवा लेंगे। इसके लिए सरकारी संस्थानों को प्रति अनुरोध ₹1.50 और निजी कंपनियों को ₹3 देने होंगे। यह खर्च अंततः उपभोक्ता पर ही आ सकता है।
चिंता की बात यह है कि अगर एमएनवी प्लेटफॉर्म किसी मोबाइल नंबर को फर्जी या संदिग्ध घोषित करता है तो वह अस्थायी रूप से डिएक्टिवेट भी किया जा सकता है। इससे उन परिवारों को भारी परेशानी हो सकती है जो एक ही फोन से कई सदस्यों का काम चलाते हैं। गांवों और कस्बों में ऐसे लाखों परिवार हैं जिनमें एक ही मोबाइल फोन से सरकारी योजनाओं, बैंकिंग, स्कूल पोर्टल और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बनाई जाती है।
अभी कई लोग एक ही मोबाइल नंबर का उपयोग अलग-अलग बैंक खातों, डिजिटल लेनदेन और सेवाओं के लिए करते हैं। अगर नियम लागू हुआ और हर बार नंबर वैलिडेट कराने की कीमत चुकानी पड़ी, तो हो सकता है कि बैंक भविष्य में हर खाते के लिए अलग मोबाइल नंबर की मांग करें। इससे सिस्टम और जटिल होगा।
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इसके अलावा यह भी स्पष्ट नहीं है कि मोबाइल नंबर वैलिडेट करवाना सबके लिए अनिवार्य होगा या केवल कुछ सेवाओं के लिए। लेकिन इंडस्ट्री संगठन IMAI (इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया) का मानना है कि प्रस्तावित नियम डिजिटल प्लेटफॉर्म और सेवाओं को इस नियम के दायरे में ले आएंगे।

टेलीकम्युनिकेशन आइडेंटिफायर यूजर एंटिटी (TIUE) की परिभाषा भी विवाद का कारण बनी हुई है, क्योंकि इसके तहत व्यक्ति को भी नंबर वैलिडेट कराने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। डिजिटल अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था एक्सेस नाऊ और IMAI दोनों ने इसे कानूनी और निजता के लिहाज से खतरनाक बताया है।
हालांकि, सरकार का तर्क है कि यह बदलाव ज़रूरी है। इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर के अनुसार, 2025 तक साइबर अपराधियों द्वारा 1.02 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की आशंका है। सरकार को उम्मीद है कि नया नियम इन अपराधों को रोकने में मदद करेगा। साथ ही, मोबाइल नंबर वैलिडेशन सर्विस से सरकार को राजस्व भी मिलेगा। अनुमान है कि गूगल, अमेज़ॉन और नेटफ्लिक्स जैसे बड़े प्लेटफॉर्म ही करीब 100 करोड़ उपभोक्ताओं के डेटा की वैलिडेशन फीस चुकाएंगे।
सरकार ने जनता से सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की थीं, जो मिल चुकी हैं। अब यह देखना बाकी है कि नियमों को संशोधित कर लागू किया जाएगा या मसौदे के मूल रूप में ही इन्हें लाया जाएगा।
साइबर धोखाधड़ी से जुड़े आंकड़े (रकम करोड़ रुपये में):
2022 – ₹2,306
2023 – ₹7,465
2024 – ₹22,842 (अब तक)