


नई दिल्ली। भारत अब हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक में इतिहास रचने की ओर बढ़ रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने घोषणा की है कि भारत की अपनी हाइपरसोनिक मिसाइल अगले दो से तीन वर्षों में सेना के बेड़े का हिस्सा बन सकती है। इस मिसाइल की रफ्तार आवाज से पांच गुना अधिक — करीब 6,174 किलोमीटर प्रति घंटा — होगी और यह 2,000 किलोमीटर तक लक्ष्य भेदने में सक्षम होगी। इससे पाकिस्तान पूरी तरह और चीन का बड़ा हिस्सा भारत की मारक क्षमता में आ जाएगा।
डीआरडीओ के प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत ने एक समाचार चैनल से बातचीत में बताया कि भारत इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति कर चुका है। हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) के सफल परीक्षण के बाद भारत इस तकनीक में मजबूत स्थिति में पहुंच चुका है। नवंबर 2023 में ओडिशा में लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया गया था।
इस मिसाइल में स्वदेशी रूप से विकसित स्क्रैमजेट इंजन का प्रयोग किया गया है, जो हवा से ऑक्सीजन लेकर ईंधन जलाता है। यह क्रूज मिसाइल बेहद कम ऊंचाई पर उड़ान भरती है और इतनी तेज गति से चलती है कि न तो इसे रडार पकड़ सकता है और न ही दुश्मन इसे समय रहते नष्ट कर सकता है।
मिसाइल के दिशा में भी बदलाव संभव है, यानी एक बार लक्ष्य तय करने के बाद भी मिशन में रणनीतिक बदलाव किया जा सकता है। इसकी सटीकता इतनी अधिक है कि निशाना चूकने की संभावना लगभग शून्य है।
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जानकारों के अनुसार, हाइपरसोनिक तकनीक भारत को वैश्विक रणनीतिक ताकतों के बीच अग्रणी बना सकती है। अमेरिका, रूस, चीन और भारत — यही चार देश वर्तमान में इस तकनीक पर कार्य कर रहे हैं। एक बार यह मिसाइल ऑपरेशनल हो जाती है, तो भारत से अमेरिका की 12,500 किलोमीटर की दूरी सिर्फ दो घंटे में तय की जा सकेगी, जो अब तक 16 घंटे लगते थे।
यह तकनीक भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और वैश्विक सैन्य ताकत बनने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।