


महबूबा मुफ्ती ने कश्मीरी पंडितों की वापसी का खाका सौंपा, राजनीतिक आरक्षण की मांग की
श्रीनगर, 3 जून 2025: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने घाटी से पलायन कर चुके कश्मीरी पंडितों की वापसी को लेकर एक प्रस्तावित रोडमैप सौंपा और केंद्र सरकार से उनके लिए राजनीतिक आरक्षण सुनिश्चित करने की मांग की।
राजभवन में हुई इस मुलाकात के बाद महबूबा ने कहा कि कश्मीरी पंडितों का पलायन केवल एक मानवीय त्रासदी नहीं, बल्कि कश्मीरी समाज, विशेषकर मुस्लिम समुदाय के लिए एक नैतिक चुनौती है। उन्होंने इस मुद्दे को कश्मीर और वहां की साझा संस्कृति पर लगे एक “धब्बे” के रूप में प्रस्तुत किया।
राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग
महबूबा ने उपराज्यपाल को यह सुझाव दिया कि कश्मीरी पंडितों को सिर्फ नामांकित प्रतिनिधित्व देने के बजाय, उनके लिए विधानमंडल में आरक्षित सीटें तय की जाएं ताकि वे राजनीतिक रूप से सशक्त हो सकें। उन्होंने कहा कि “सच्चा पुनर्वास तभी होगा जब पंडित समुदाय न सिर्फ वापस आए, बल्कि सम्मानजनक भागीदारी के साथ समाज में सक्रिय हो।”
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खीर भवानी मेले से पहले बयान
यह बयान ऐसे समय आया है जब खीर भवानी मंदिर में 3 जून को ‘जेठ अष्टमी’ के अवसर पर वार्षिक मेला आयोजित होना है। हजारों कश्मीरी पंडित देश-विदेश से यहां आते हैं। महबूबा का यह बयान उनके प्रति भरोसे और सद्भावना का संदेश माना जा रहा है।

उमर अब्दुल्ला पर भी साधा निशाना
एक सवाल के जवाब में महबूबा ने नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि “जो लोग खुद को लोकतंत्र का प्रतिनिधि कहते हैं, वे ही निर्वाचित सरकार को कमजोर करने का काम कर रहे हैं।” उन्होंने उमर द्वारा वक्फ अधिनियम पर चर्चा से बचने और केंद्रीय मंत्री के स्वागत को तरजीह देने पर सवाल उठाए।
अमरनाथ यात्रा और स्थानीय भागीदारी
प्रेस वार्ता में महबूबा मुफ्ती ने अमरनाथ यात्रा के आयोजन में अधिक स्थानीय लोगों को शामिल करने की भी मांग रखी। उन्होंने कहा कि इस पवित्र यात्रा को सफल बनाने में कश्मीरियों की भूमिका हमेशा अहम रही है और इस परंपरा को और मजबूत करने की जरूरत है।
कश्मीरी कैदियों की रिहाई की अपील
महबूबा ने ईद से पहले ऐसे कश्मीरी कैदियों की रिहाई की मांग की जिन पर कोई गंभीर आरोप नहीं हैं। साथ ही उन्होंने यह भी आग्रह किया कि जो कश्मीरी नागरिक देश की अन्य जेलों में बंद हैं, उन्हें वापस जम्मू-कश्मीर की जेलों में लाया जाए ताकि उनके परिवारों को भी सुविधा हो सके।
महबूबा मुफ्ती के इन बयानों को घाटी में लंबे समय से पलायन कर चुके समुदाय के साथ पुनर्संवाद की एक गंभीर कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।