


प्रदेश की राजनीति से जुड़ी एक अहम खबर सामने आई है। बारां जिले के अंता से भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा ने 20 साल पुराने एक आपराधिक मामले में ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है। उन्हें 7 मई को कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज करते हुए उन्हें दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के आदेश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद ट्रायल कोर्ट ने 9 मई को उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इसके बाद अब उन्होंने अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।
यह मामला 3 फरवरी 2005 का है। झालावाड़ जिले के मनोहर थाना क्षेत्र में दांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर ग्रामीणों ने उपसरपंच चुनाव में दोबारा मतदान की मांग को लेकर रास्ता रोक रखा था। मौके पर तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस अधिकारी डॉ. प्रीतम बी. यशवंत और तहसीलदार रामकुमार पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने का प्रयास करने लगे।

करीब आधे घंटे बाद विधायक कंवरलाल मीणा अपने कुछ समर्थकों के साथ वहां पहुंचे। आरोप है कि उन्होंने एसडीएम रामनिवास मेहता की कनपटी पर पिस्तौल तान दी और धमकी दी कि अगर दो मिनट के भीतर फिर से मतगणना की घोषणा नहीं की गई तो वे जान से मार देंगे।
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इस मामले में उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसकी सुनवाई के बाद अब उन्हें तीन साल की सजा सुनाई गई है। विधायक मीणा के सरेंडर करने के बाद राजनीतिक हलकों में इस घटना की व्यापक चर्चा हो रही है।