



सीजेआई गवई बोले– लोकतंत्र के तीनों स्तंभ समान, महाराष्ट्र में स्वागत प्रोटोकॉल पर जताई नाराजगी
नई दिल्ली/मुंबई। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने रविवार को अपने गृह राज्य महाराष्ट्र में आयोजित एक सम्मान समारोह में कहा कि भारत का संविधान सर्वोपरि है और इसके तीनों स्तंभ—न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका—को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि न कोई स्तंभ सर्वोच्च है और न ही अलग-थलग, बल्कि सबकी जिम्मेदारी है कि वे संविधान के अनुरूप कार्य करें।
यह बयान तब आया जब CJI गवई ने महाराष्ट्र पहुंचने पर निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की अनुपस्थिति पर असंतोष जाहिर किया। सीजेआई बनने के बाद पहली बार राज्य में पहुंचे जस्टिस गवई के स्वागत के लिए न तो मुख्य सचिव, न पुलिस महानिदेशक और न ही मुंबई पुलिस आयुक्त मौजूद थे। हालांकि, बाद में जब वे दादर स्थित चैत्यभूमि पर डॉ. भीमराव आंबेडकर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे, तो तीनों अधिकारी वहां मौजूद नजर आए।
जस्टिस गवई ने साफ शब्दों में कहा कि वे छोटे मुद्दों पर ध्यान नहीं देते, लेकिन जब किसी संस्था का प्रमुख पहली बार अपने ही राज्य में आ रहा हो, तो यह सभी के लिए आत्ममंथन का विषय होना चाहिए कि उसके साथ कैसा व्यवहार किया गया।

बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा द्वारा आयोजित इस सम्मान समारोह में सीजेआई गवई ने कहा कि देश ने सिर्फ राजनीतिक रूप से नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर भी विकास किया है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 142 का भी जिक्र किया, जो सुप्रीम कोर्ट को पूर्ण न्याय देने के लिए आवश्यक आदेश पारित करने का अधिकार देता है।
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जस्टिस गवई भारतीय न्यायपालिका का नेतृत्व करने वाले दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं। इससे पहले केजी बालाकृष्णन ने यह जिम्मेदारी निभाई थी।