


नागपुर में हाल ही में हुई हिंसा के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस ने 38 वर्षीय फहीम शमीम खान को इस हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता बताया है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
घटना नागपुर के महाल और आसपास के इलाकों में सोमवार रात को हुई थी, जिसमें आगजनी और पथराव की घटनाएं सामने आईं। पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में फहीम खान का नाम प्रमुख रूप से शामिल है। एफआईआर के अनुसार, माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के नागपुर शहर अध्यक्ष फहीम खान ने हिंसा भड़काने के लिए भीड़ को एकत्रित किया था।
बताया जा रहा है कि सोमवार दोपहर विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर महाल इलाके में विरोध प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन के दौरान धार्मिक प्रतीकों को जलाने की अफवाह फैली, जिसके बाद तनाव बढ़ गया। पुलिस का आरोप है कि फहीम खान ने इस अफवाह का फायदा उठाते हुए भीड़ को और उकसाया, जिससे हिंसा भड़क गई।
पुलिस ने इस मामले में 51 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जांच के अनुसार, फहीम खान ने 17 मार्च की सुबह 30-40 लोगों की भीड़ इकट्ठा कर पुलिस को ज्ञापन सौंपा था, जिसमें विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया गया था। पुलिस ने आश्वासन दिया कि मामले की जांच की जाएगी, लेकिन इसके बावजूद फहीम खान ने लगातार भीड़ जुटाई और इलाके में तनाव फैलाने की कोशिश की।
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चुनावी हार और हिंसा में भूमिका
फहीम खान केवल 10वीं तक शिक्षित है और इससे पहले एक विधानसभा चुनाव भी लड़ चुका है, जिसमें उसे हार का सामना करना पड़ा था। आरोप है कि उसने लोगों को यह कहकर भड़काया कि पुलिस हिंदू संगठनों का पक्ष ले रही है और उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर रही है।

गिरफ्तारी और पुलिस कार्रवाई
इस मामले में अब तक 46 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गणेशपेठ पुलिस ने 19 आरोपियों को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी न्यायालय (JMFC) में पेश किया, जहां से सभी को 21 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। नागपुर पुलिस के साथ-साथ महाराष्ट्र एटीएस भी मामले की जांच कर रही है।
कैसे भड़की हिंसा?
सोमवार दोपहर को एक अफवाह फैली कि विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रतीकात्मक कब्र को जलाने पर रखी चादर में धार्मिक चिह्न थे। इसके बाद शाम होते-होते हिंसा भड़क उठी। फहीम खान ने दोपहर में पुलिस को ज्ञापन सौंपा था और थाने के बाहर भीड़ के साथ नारेबाजी की थी। हालांकि, शाम होते ही विवाद फिर बढ़ गया और पथराव तथा आगजनी शुरू हो गई। इस हिंसा में तीन पुलिस उपायुक्तों समेत 12 पुलिसकर्मी घायल हुए।
अब तक 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, और पुलिस की कई टीमें अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी हैं। इस मामले में अलग-अलग थानों में छह एफआईआर दर्ज की गई हैं, और 1,200 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें से 150 से अधिक की पहचान कर ली गई है, जबकि अन्य की तलाश जारी है।