


विजयदशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा त्रिवेणी नगर में पथ संचलन का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम को पूर्व सरकार्यवाह सुरेश (भैयाजी) जोशी ने संबोधित किया, जहां उन्होंने भारतीय समाज की एकता, सुधार और स्वच्छता के महत्व पर जोर दिया।
जोशी ने अपने भाषण में भारत के लिए आंतरिक बुराइयों को सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने जाति और राज्य के आधार पर समाज को विभाजित करने को अपराध करार दिया और देशवासियों से एकजुट रहने की अपील की। उन्होंने इस विभाजनकारी प्रवृत्ति के खिलाफ चेतावनी दी और कहा कि हमें पाकिस्तान या चीन से नहीं, बल्कि अपनी आंतरिक कमजोरियों से सबसे बड़ा खतरा है।
जोशी ने आहिल्या बाई होल्कर के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए कार्य किया, और इसी तरह आज हमें भी समाज के सुधार की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर भारत को विश्व गुरु बनाना है, तो हमें अपने भीतर के “रावणों और कौरवों” को पहचानकर उन्हें दूर करना होगा। इसके साथ ही उन्होंने संविधान के निर्माता बाबासाहेब आंबेडकर का उल्लेख करते हुए कहा कि संविधान में “हम भारत के लोग” लिखा गया है, न कि विभिन्न राज्यों के लोग, इसलिए हमें हर तरह की सामाजिक विभाजनकारी ताकतों से बचना चाहिए।
प्रकृति संरक्षण और स्वच्छता के विषय पर जोर देते हुए जोशी ने कहा कि प्रकृति का सम्मान न करने से आपदाएं आती हैं, और यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रत्येक नागरिक की भी है। हमें अपनी जिम्मेदारियों को निभाना होगा ताकि भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।
- Advertisement -

भैयाजी ने चाणक्य का उदाहरण देते हुए कहा कि समाज के उन्नति के लिए महिलाओं को मां के रूप में देखना आवश्यक है। उन्होंने महिलाओं के सम्मान की आवश्यकता को रेखांकित किया और आहिल्या बाई होल्कर के आदर्शों पर चलने की अपील की।
अंत में, जोशी ने रावण दहन की रस्म को प्रतीकात्मक बदलाव का प्रतीक बताया और कहा कि असली बदलाव समाज में सकारात्मक कार्यों और एकता से आएगा। त्रिवेणी नगर से शुरू होकर पथ संचलन विभिन्न मार्गों से होते हुए गुजरा, जिसमें भाग लेने वाले स्वयंसेवकों ने राष्ट्र की एकता और समाज सुधार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।