


दौसा के संविदाकर्मी नीरज की रहस्यमयी मौत: परिजनों ने अधिकारियों पर लगाए गंभीर आरोप
दौसा जिले के संविदाकर्मी नीरज की मौत के पीछे परिवारवालों ने अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिजनों का कहना है कि नीरज और उसके ऑफिस के बीच 28 लाख रुपये के एक विवाद को लेकर पहले से तनाव था। नीरज की मां ने घटना से पहले अधिकारियों से फोन पर बात कर मामले को सुलझाने की अपील की थी, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
नीरज की बहन संजू गुप्ता ने बताया कि नीरज को पिछले लंबे समय से उसके अधिकारी परेशान कर रहे थे। ऑफिस में जाते ही उसे एक अलग कमरे में बैठा दिया जाता, जहां ना तो पंखा था और ना ही कोई अन्य सुविधा। नीरज ट्राईफेड राजस्थान में वाणिज्यिक कार्यकारी पद पर कार्यरत था, और उसे लगातार ऑफिस में काम करने नहीं दिया जा रहा था।
नीरज के बड़े भाई ने बताया कि अधिकारियों की साजिश के तहत उसे नौकरी से हटाने का प्रयास किया जा रहा था। नीरज इस घोटाले में फंसने से बचने की कोशिश कर रहा था, जिसके चलते वह मानसिक तनाव में था। उसने अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए चार पन्नों का एक पत्र अपने विभाग को लिखा था, जिसमें उसने आरोप लगाया कि अधिकारियों द्वारा उसे फंसाने की कोशिश की जा रही है।
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नीरज की मां ने बताया कि रोज की तरह वह ऑफिस गया था, जहां चाय पीने के बाद उसे उल्टियां होने लगीं। नीरज की हालत बिगड़ते देख अधिकारियों ने उसे जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया और उसके परिजनों को सूचित किया। अस्पताल में नीरज की मौत की वजह जहर बताई जा रही है।
अब यह जांच का विषय है कि क्या नीरज ने आत्महत्या की या फिर अधिकारियों की साजिश के तहत उसे नुकसान पहुंचाया गया। नीरज के परिजनों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और दोषियों को सजा देने की अपील की है।
यह मामला इस सवाल को भी उठाता है कि संविदाकर्मी परमानेंट कर्मचारियों से परेशान होते हैं या इसके पीछे कुछ और कारण हैं। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरकार को गंभीरता से मामले की जांच करनी चाहिए, ताकि भविष्य में संविदाकर्मियों को इस तरह की समस्या का सामना न करना पड़े। हाल ही में एक अन्य संविदा कर्मचारी की जयपुर में मौत के मामले ने भी इस मुद्दे को और बढ़ा दिया है।