अरावली खनन को लेकर आंकड़ों में टकराव
जयपुर। अरावली पर्वतमाला में खनन को लेकर केंद्र सरकार के दावों और आधिकारिक दस्तावेजों के बीच गंभीर विरोधाभास सामने आया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के हालिया बयान और केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) की 2024 की रिपोर्ट से जुड़े दस्तावेजों के आंकड़े एक-दूसरे से मेल नहीं खाते। यह वही रिपोर्ट है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगाई है।
मंत्री का दावा और दस्तावेजों की सच्चाई
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा था कि अरावली की संशोधित परिभाषा लागू होने के बाद केवल 277.9 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ही खनन के लिए योग्य रहेगा। मंत्रालय का तर्क है कि अरावली पर्वतमाला 37 जिलों में लगभग 1.4 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है, लेकिन खनन पट्टे बेहद सीमित क्षेत्र में ही मौजूद हैं।
हालांकि, CEC रिपोर्ट से जुड़े दस्तावेज इससे अलग तस्वीर दिखाते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, CEC के साथ संलग्न नोट में साफ तौर पर उल्लेख है कि केवल राजस्थान की अरावली पहाड़ियों में ही वर्तमान खनन क्षेत्र 2,339 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है।
खनन क्षेत्र बढ़ाने की योजना का खुलासा
दस्तावेजों में राजस्थान सरकार के ड्राफ्ट विजन डॉक्यूमेंट–2047 का भी जिक्र है। इसमें अरावली क्षेत्र में खनन क्षेत्र को 2,339 वर्ग किलोमीटर से बढ़ाकर 4,000 वर्ग किलोमीटर तक करने की योजना बताई गई है। सरकार का तर्क है कि इससे “जिम्मेदार खनन” को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
- Advertisement -
सुप्रीम कोर्ट के आदेश और प्रतिबंध
CEC रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि सुप्रीम कोर्ट के 8 अप्रैल 2005 के आदेश के बाद अरावली क्षेत्र में नए खनन पट्टे जारी करने पर रोक है। फिलहाल राजस्थान की अरावली पहाड़ियों में 1,008 खनन पट्टे पहले से मौजूद बताए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रतिबंध का राज्य की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
रोजगार और उद्योग पर असर
केंद्र सरकार के दस्तावेजों में खनन को बड़े पैमाने पर रोजगार से जोड़कर देखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, खनन गतिविधियों से करीब 8 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है, जबकि 20 से 25 लाख लोगों की आजीविका अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़ी है। सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंधों के कारण लगभग 10 हजार औद्योगिक इकाइयां भी प्रभावित हुई हैं, जिनमें हजारों करोड़ रुपये का निवेश शामिल है।
अरावली और ग्रीन मार्बल का महत्व
रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि राजस्थान देश में निर्माण कार्य के लिए उपयोग होने वाले संगमरमर का प्रमुख उत्पादक है। विशेष रूप से ग्रीन मार्बल, जिसका उत्पादन केवल राजस्थान में होता है और जिसका निर्यात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है, अरावली पर्वतमाला से ही निकाला जाता है।

