राहुल गांधी का आरोप: चुनावी सुधारों की बहस में गृहमंत्री असहज दिखाई दिए
लोकसभा में चुनाव सुधारों पर हुई विस्तृत बहस के एक दिन बाद कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लेकर एक बड़ा दावा सामने रखा। उन्होंने कहा कि बहस के दौरान गृहमंत्री न केवल असहज दिखे, बल्कि कई अहम सवालों पर उन्होंने स्पष्ट जवाब देने से बचने की कोशिश की।
वोट चोरी पर चर्चा की खुली चुनौती, लेकिन गृहमंत्री चुप रहे – राहुल गांधी
राहुल गांधी ने बताया कि उन्होंने संसद में अमित शाह को “वोट चोरी” मुद्दे पर सीधी बहस के लिए चुनौती दी थी। उनका कहना है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाए गए गंभीर आरोपों पर गृहमंत्री ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही सदन में इस मुद्दे पर बातचीत की अनुमति दी।
राहुल गांधी के अनुसार, “मैंने संसद में अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस की बातों पर चर्चा करने को कहा, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। यह बताता है कि वे दबाव में हैं।”
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‘अमित शाह घबराए हुए थे, हाथ कांप रहे थे’ – राहुल गांधी
संसद परिसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने दावा किया कि बहस के दौरान अमित शाह का व्यवहार सामान्य नहीं था।
उनके शब्दों में, “उन्होंने अनुचित भाषा का प्रयोग किया। उनके हाथ कांप रहे थे। यह घबराहट पूरे सदन ने देखी। वे मानसिक दबाव में प्रतीत हो रहे हैं।”
पारदर्शी मतदाता सूची, ईवीएम और CEC प्रतिरक्षा पर सवाल अनुत्तरित
राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने गृहमंत्री से पारदर्शी मतदाता सूचियों, ईवीएम की विश्वसनीयता, और मुख्य चुनाव आयुक्त को कानूनी प्रतिरक्षा प्रदान करने जैसे संवेदनशील मुद्दों पर स्पष्ट जवाब मांगा था।
उनका आरोप है कि “गृहमंत्री ने सभी मुद्दों पर टालमटोल किया और किसी भी बिंदु पर तथ्यात्मक उत्तर नहीं दिया।”
विपक्ष का वॉकआउट, अमित शाह की प्रतिक्रिया को बताया ‘रक्षात्मक’
चुनावी सुधारों पर चर्चा के बीच माहौल गरमाने के बाद राहुल गांधी समेत विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट किया।
राहुल गांधी ने बाद में X पर पोस्ट कर कहा कि “गृहमंत्री की ‘वोट चोरी’ पर प्रतिक्रिया रक्षात्मक और घबराहट भरी थी, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए चिंताजनक संकेत है।”
वोट चोरी को बताया ‘सबसे बड़ा देशद्रोह’
अपने बयान को और स्पष्ट करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि वोट चोरी लोकतंत्र के मूल ढांचे पर सबसे बड़ा हमला है।
उनके अनुसार, “यह सिर्फ चुनावी गड़बड़ी नहीं, बल्कि लोकतंत्र के साथ देशद्रोह है। और इसी वजह से गृहमंत्री के जवाब का न मिलना गंभीर चिंता का विषय है।”


