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बीकानेर

विशेषज्ञों की चेतावनी: चैटबॉट्स के बढ़ते इस्तेमाल से उभर रहा ‘एआई साइकोसिस’ का खतरा

editor
editor Published November 23, 2025
Last updated: 2025/11/23 at 2:44 PM
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डिजिटल दौर में लोग अकेलेपन, तनाव या भावनात्मक उलझनों के समय सबसे पहले एआई चैटबॉट्स से बात करने लगे हैं—चाहे वह चैटजीपीटी हो, जेमिनी, ग्रोक या अन्य प्लेटफॉर्म। लेकिन मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अब इस आदत को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। विशेषज्ञों के अनुसार, कई देश ऐसे मामलों की जांच कर रहे हैं जिनमें अत्यधिक एआई-इंटरैक्शन के बाद लोगों में भ्रम, मतिभ्रम, वास्तविकता से अलगाव और खतरनाक विचार बढ़ने जैसे लक्षण देखे गए हैं। इस उभरती स्थिति को “एआई साइकोसिस” कहा जा रहा है।

Contents
एआई साइकोसिस क्या है?चैटबॉट्स क्यों बढ़ा रहे हैं जोखिम?एआई साइकोसिस के संभावित लक्षणमानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के 4 महत्वपूर्ण सुझाव“एआई सहारा दे सकता है, लेकिन थेरेपी नहीं”—विशेषज्ञ

एआई साइकोसिस क्या है?

विशेषज्ञों के अनुसार, एआई साइकोसिस वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति वास्तविक और आभासी दुनिया की सीमाओं को पहचान नहीं पाता। चैटबॉट्स के साथ लगातार संवाद करने से कुछ लोग एआई को भगवान, साथी, सलाहकार या भावनात्मक सहारा समझने लगते हैं और धीरे-धीरे वास्तविक सामाजिक जीवन से दूर हो जाते हैं।


चैटबॉट्स क्यों बढ़ा रहे हैं जोखिम?

डेनमार्क के मनोचिकित्सक सोरेन ऑस्टरगार्ड और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक टीम ने बताया कि चैटबॉट्स अक्सर यूज़र की हर बात को सहमति देने वाले अंदाज में जवाब देते हैं। इससे नकारात्मक विचारों को चुनौती देने के बजाय वे और मजबूती पाते हैं। रिपोर्टों के आधार पर विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक रूप से संवेदनशील उपयोगकर्ताओं में इससे भ्रम और अवसाद के लक्षण तेजी से बढ़ सकते हैं।

अमेरिका और यूरोप में कुछ मामलों की जांच जारी है, जहां कुछ परिवारों ने दावा किया कि एआई ने उनके परिजनों को गलत दिशा में प्रभावित किया। हालांकि इन मामलों की स्वतंत्र जांच पूरी नहीं हुई है और विशेषज्ञों ने जोर दिया है कि संबंध स्थापित करने के लिए अभी अधिक सबूतों की आवश्यकता है।

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एआई साइकोसिस के संभावित लक्षण

  • वास्तविकता से दूरी बनाना

  • एआई को भावनात्मक या आध्यात्मिक आदर्श मान लेना

  • अजीब और अवांछित विचारों का बढ़ना

  • नींद में बाधा और बेचैनी

  • सामाजिक जीवन से कटकर केवल चैटबॉट से संवाद करना


मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के 4 महत्वपूर्ण सुझाव

  1. हल्के तनाव में ही एआई से बात करें, गंभीर मानसिक परेशानी में नहीं।

  2. एआई की किसी भी सलाह को अंतिम सत्य न मानें।

  3. मनोवैज्ञानिक समस्या हो तो प्रशिक्षित मनोचिकित्सक या क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट से ही संपर्क करें।

  4. यदि एआई से बातचीत के बाद भ्रम या डर जैसे विचार बढ़ें तो तुरंत प्रोफेशनल मदद लें।


“एआई सहारा दे सकता है, लेकिन थेरेपी नहीं”—विशेषज्ञ

गुड़गांव स्थित क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट डॉ. मुनिया भट्टाचार्य का कहना है,
“एआई प्लेटफॉर्म भावनात्मक रूप से सहानुभूतिपूर्ण जवाब दे सकते हैं, लेकिन ये पेशेवर थेरेपी का विकल्प नहीं हैं। गंभीर अवसाद, आत्महत्या के विचार या साइकोसिस जैसी स्थितियों में एआई गलत जानकारी देकर जोखिम बढ़ा सकता है।”

विशेषज्ञों ने जोर दिया है कि भविष्य में एआई-आधारित मानसिक स्वास्थ्य संवाद के लिए सख्त दिशानिर्देश और निगरानी तंत्र की आवश्यकता होगी। तब तक सावधानी और सीमित उपयोग ही सुरक्षित तरीका माना जा रहा है।


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editor November 23, 2025
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