बीकानेर में भूमि खरीद को लेकर एक बड़ा जालसाजी प्रकरण सामने आया है, जहां कुछ व्यक्तियों ने आपसी साठगांठ के जरिए यूआईटी (शहरी सुधार न्यास) की जमीन को अपनी संपत्ति बताकर बेचने का प्रयास किया। इस मामले में बीछवाल थाना पुलिस ने पीड़ित की रिपोर्ट पर कई आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पीड़ित को बेची गई यूआईटी की जमीन
ओसवाल डागा पिरोल निवासी विनय कुमार पुत्र त्रिलोकचंद ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया कि उसे समता नगर क्षेत्र में जमीन खरीदनी थी। इस दौरान उसकी मुलाकात नरेश कुमार, रामचंद्र विश्नोई, कानाराम शर्मा, मयूर सोनी, पन्नालाल खजांची और कन्हैयालाल चांडक से हुई।
रिपोर्ट के अनुसार, आरोपियों ने विनय कुमार को जमीन दिखाते हुए दावा किया कि यह भूमि उनके स्वामित्व में है। लेकिन बाद में पता चला कि जिस जमीन को बेचा गया वह उनकी निजी भूमि से कहीं अधिक थी और उसका बड़ा हिस्सा वास्तव में यूआईटी बीकानेर की संपत्ति है।
फर्जीवाड़े से किया गया विक्रय
परिवादी ने आरोप लगाया कि सभी आरोपी आपसी मिलीभगत से यूआईटी की भूमि को अपना बताकर फर्जी तरीके से विक्रय कर रहे थे। दस्तावेज भी ऐसे तैयार किए गए थे जिससे जमीन को निजी स्वामित्व का दिखाया जा सके।
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पीड़ित का कहना है कि यह पूरा मामला योजना बद्ध तरीके से रचा गया था, जिसमें उसे धोखे में रखकर सरकारी जमीन खरीदने को मजबूर किया गया।
पुलिस ने दर्ज किया मामला, जांच जारी
बीछवाल थाना पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और साजिश से संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
पुलिस अब भूमि के सभी रिकॉर्ड, विक्रय दस्तावेज, यूआईटी की सीमा और आरोपियों के बीच हुई बातचीत की जांच कर रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इस फर्जी विक्रय में कौन-कौन शामिल था और किन स्तरों पर नियमों को तोड़ा गया।
अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक जांच में यह साफ है कि आरोपियों ने सरकारी भूमि का दुरुपयोग करके एक बड़े आर्थिक लाभ की कोशिश की, जो गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
