राजस्थान में SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक टकराव लगातार गहराता जा रहा है। राज्य के पूर्व बीजेपी अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि संवैधानिक संस्थाओं की निष्पक्षता पर सवाल उठाना लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करने जैसा है। उनके अनुसार, कांग्रेस जानबूझकर SIR प्रक्रिया का विरोध कर रही है, ताकि ऐसे लोगों को लाभ मिले जो वैधानिक रूप से मतदाता सूची में शामिल नहीं हो सकते।
चतुर्वेदी का आरोप: कांग्रेस संस्थाओं को निशाना बनाकर भ्रम फैला रही है
चतुर्वेदी ने कहा कि अशोक गहलोत वर्षों तक राज्य की सियासत के केंद्र में रहे, लेकिन आज उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर दिखाई देती है। उन्होंने दावा किया कि चुनावी हार के बाद कांग्रेस लगातार निर्वाचन आयोग, न्यायपालिका, प्रवर्तन एजेंसियों और सुरक्षा बलों की विश्वसनीयता पर उंगली उठाकर जनता का भरोसा डगमगाने की कोशिश कर रही है।
उनका कहना था कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई गई, जबकि वही प्रक्रिया आज उन्हें संदिग्ध लग रही है।
SIR प्रक्रिया पर उठते राजनीतिक सवाल
पूर्व बीजेपी अध्यक्ष ने यह भी कहा कि कांग्रेस SIR को लेकर ऐसी आशंकाएं फैला रही है, मानो EVM में गड़बड़ी हो रही हो या बैलेट पेपर चोरी हो रहे हों। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक बताया और कहा कि इस तरह के आरोप सिर्फ अविश्वास और भ्रम पैदा करते हैं।
चतुर्वेदी का सबसे सीधा सवाल कांग्रेस से यही था कि वह भारत के नागरिकों के हित की राजनीति कर रही है या अवैध प्रवासियों के मताधिकार की पैरवी कर रही है।
गहलोत का पलटवार और विवाद की जड़
इससे पहले अशोक गहलोत ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि आयोग शुरू से ही केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहा है। उनका यह भी कहना था कि SIR प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के बजाय राजनीतिक दलों को विश्वास में नहीं लेने से विवाद और बढ़ गया।
इसी बयान के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और SIR विवाद एक बड़े राजनीतिक टकराव में बदल गया।
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