बीकानेर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, पीबीएम, में वर्षों से संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों ने प्रशासन और ठेकेदारों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए खुली चेतावनी दे दी है। कर्मचारियों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन और ठेका व्यवस्था की मिलीभगत के कारण उनका नियमित शोषण हो रहा है, लेकिन शिकायत करने पर उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी देकर चुप करा दिया जाता है।
पीएफ जमा न करना, वेतन काटना और छुट्टियों का पैसा हड़पने के आरोप
संविदाकर्मियों के अनुसार, ठेकेदार लंबे समय से उनकी भविष्य निधि (PF) राशि जमा नहीं कर रहे और इसे दबा रखे हैं। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि उन्हें पूरा वेतन नहीं दिया जाता, जबकि हर माह चार छुट्टियों की राशि वेतन से काट ली जाती है।
कर्मचारियों का आरोप है कि यह सीधा आर्थिक उत्पीड़न है और वे बार-बार शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन न तो ठेकेदारों और न ही अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई की गई।
सूची जारी न करने पर अधीक्षक पर पक्षपात के आरोप
कर्मचारियों ने बताया कि वे कई बार पीबीएम प्रशासन से राज्य सरकार को भेजी जाने वाली संविदाकर्मियों की आधिकारिक सूची जारी करने की मांग कर चुके हैं।
लेकिन अधीक्षक ने अब तक सूची को सार्वजनिक नहीं किया है। कर्मचारियों का दावा है कि प्रशासन पारदर्शिता से बचने के लिए जानबूझकर फाइलें रोके बैठा है।
मानसिक और आर्थिक दबाव में काम करवाने का आरोप
कई कर्मचारियों ने बताया कि वे वर्षों से न केवल आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं, बल्कि प्रशासनिक दबाव के कारण मानसिक रूप से भी परेशान हैं।
पीएफ से लेकर वेतन कटौती, अवकाश रोकने और अन्य अनियमितताओं का विरोध करने पर उन्हें सीधे बाहर निकालने की धमकी दी जाती है।
- Advertisement -
समाधान न हुआ तो अस्पताल में बड़ा आंदोलन
कर्मचारियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान तुरंत नहीं किया गया, तो वे अस्पताल परिसर में चक्का जाम करेंगे और सफाई व्यवस्था बंद कर देंगे।
उन्होंने कहा कि यदि अस्पताल में अव्यवस्था उत्पन्न होती है, तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह पीबीएम अस्पताल प्रशासन की होगी।
यह मामला अब बीकानेर के स्वास्थ्य तंत्र में ठेका प्रणाली की खामियों और अस्पताल प्रशासन की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।
