दिल्ली ब्लास्ट केस में बड़ी कार्रवाई: NMC ने चार डॉक्टरों का मेडिकल लाइसेंस रद्द किया
दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच आगे बढ़ते हुए नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने 14 नवंबर 2025 को चार डॉक्टरों का मेडिकल रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अहम निर्णय लिया। यह कार्रवाई उन गंभीर अपराधों पर आधारित है जिनके तहत डॉक्टरों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। जांच एजेंसियों ने FIR और आरोपों से जुड़ी विस्तृत जानकारी NMC को भेजी थी, जिसके बाद आयोग ने इसे मेडिकल पेशे की नैतिकता के खिलाफ मानते हुए उनकी डॉक्टरी समाप्त कर दी।
FIR में दर्ज गंभीर धाराएं
NMC के आदेश के अनुसार, जिन धाराओं के तहत डॉक्टरों पर आरोप दर्ज हुए, वे कानून की गंभीर श्रेणी में आती हैं। इनमें शामिल हैं:
विस्फोटक पदार्थ अधिनियम
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धारा 4/5: अवैध रूप से विस्फोटक बनाना, रखना, उपयोग करना या उससे नुकसान पहुंचाना।
आर्म्स एक्ट
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धारा 7: बिना अनुमति हथियार रखना या तैयार करना।
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धारा 25: अवैध हथियार रखने और उपयोग पर दंड।
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धारा 27: हथियार का उपयोग कर किसी को नुकसान पहुंचाना।
भारतीय दंड संहिता (BNS)
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धारा 147: हिंसक भीड़ या दंगों में शामिल होना।
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धारा 148: घातक हथियार के साथ दंगल करना।
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धारा 152: सरकारी कर्मचारी पर दंगों के दौरान हमला।
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धारा 351(2): हिंसक हमला जिसके परिणामस्वरूप गंभीर चोट हो।
इन धाराओं को देखते हुए NMC ने माना कि आरोपी डॉक्टरों की गतिविधियां मेडिकल पेशे की गरिमा से मेल नहीं खातीं।
किन डॉक्टरों के नाम रजिस्टर से हटाए गए?
आदेश के तहत चार डॉक्टरों के नाम IMR और NMR दोनों रजिस्टरों से हटा दिए गए:
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डॉ. मुजफ्फर अहमद
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डॉ. अदील अहमद राथर
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डॉ. मुजम्मिल शकील
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डॉ. शाहीन सईद
इनमें तीन डॉक्टर जम्मू-कश्मीर मेडिकल काउंसिल से और एक उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल से पंजीकृत थे। निर्णय तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
क्यों की गई यह कार्रवाई?
NMC ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि डॉक्टरों पर दर्ज अपराध न केवल गंभीर हैं, बल्कि मेडिकल प्रोफेशन की बुनियादी नैतिकता और ईमानदारी के खिलाफ भी हैं।
आयोग ने Professional Conduct, Etiquette & Ethics Regulations (2002) के तहत—विशेषकर क्लॉज 1.1 और 1.2—इस कार्रवाई को उचित माना।
इन नियमों के अनुसार, कोई डॉक्टर ऐसे कार्य में शामिल नहीं हो सकता जो:
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जनता का भरोसा तोड़े
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मेडिकल पेशे की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाए
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पेशेवर नैतिक आचरण का उल्लंघन करे
NMC के अनुसार दर्ज केस इन सभी मानकों का उल्लंघन करते पाए गए।
कौन-कौन से अपराधों में डॉक्टर की ‘डॉक्टरी’ छिन सकती है?
मौजूदा कानूनों और मेडिकल नैतिक नियमों के अनुसार, निम्न परिस्थितियों में डॉक्टर का लाइसेंस रद्द या निलंबित किया जा सकता है:
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आतंकवाद या राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता
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एक्सप्लोसिव या आर्म्स एक्ट के तहत गंभीर अपराध
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फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करना
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अवैध ऑपरेशन या ऑर्गन ट्रेडिंग (Transplant Act, 1994)
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भ्रूण लिंग परीक्षण (PCPNDT Act)
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गंभीर चिकित्सा लापरवाही
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यौन अपराध, मानव तस्करी या अन्य नैतिक अपराध
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दवा कंपनियों से कमीशन या अनैतिक आर्थिक लाभ लेना
ये अपराध डॉक्टर की पेशेवर छवि और सार्वजनिक विश्वास को सीधे प्रभावित करते हैं, इसलिए ऐसी स्थितियों में लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
लाइसेंस रद्द होने का मतलब क्या है?
डॉक्टर की डॉक्टरी छिनने का अर्थ है:
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मेडिकल रजिस्ट्रेशन पूरी तरह समाप्त
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भारत में कहीं भी प्रैक्टिस करने का अधिकार नहीं
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किसी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज या स्वास्थ्य संस्थान में नौकरी नहीं
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मेडिकल सर्टिफिकेट, दवाएं लिखने या किसी तरह का उपचार करने की अनुमति खत्म
यह कार्रवाई न केवल कानूनी बल्कि पेशेवर स्तर पर भी सर्वोच्च दंड मानी जाती है।
