दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार शाम हुए भीषण धमाके की जांच में लगातार नए खुलासे सामने आ रहे हैं। अब पता चला है कि जिस Hyundai i20 कार (HR26CE7674) में विस्फोट हुआ, वह पिछले एक साल में सात बार बेची गई, लेकिन कागजों में अब तक उसका मालिक वही रहा — गुरुग्राम निवासी सलमान। यही बात इस पूरे आतंकी नेटवर्क की जांच को बेहद जटिल बना रही है।
जांच एजेंसियों को शक है कि कार को जानबूझकर “अनट्रेसएबल” बनाने की कोशिश की गई, ताकि असली साजिशकर्ताओं तक पहुंचना मुश्किल हो। फिलहाल दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल, एनआईए (NIA) और आईबी (IB) की टीमें मिलकर मामले की तहकीकात कर रही हैं।
दिल्ली धमाके के बाद देशभर में सुरक्षा अलर्ट
सोमवार शाम करीब 6:52 बजे लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास खड़ी सफेद i20 कार में अचानक जोरदार धमाका हुआ। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि आसपास खड़ी कई गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं और नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों घायल हुए। धमाके के तुरंत बाद गृह मंत्रालय ने देश के 11 राज्यों में हाई अलर्ट जारी किया है। संसद भवन, इंडिया गेट, एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशनों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
सात खरीदार, एक ही रजिस्ट्रेशन
एनडीटीवी और जांच एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, यह कार 2013 में बनी थी और 2014 में पहली बार गुरुग्राम के सलमान के नाम पर रजिस्टर्ड हुई थी। इसके बाद यह कार क्रमशः ओखला निवासी देवेंद्र, अंबाला के एक व्यक्ति, पुलवामा के आमिर, फरीदाबाद के डॉ. मुजम्मिल शकील और फिर डॉ. उमर मोहम्मद तक पहुंची।
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हालांकि, इन सबके बावजूद रजिस्ट्रेशन सलमान के नाम से कभी ट्रांसफर नहीं हुआ। यानी, यह कार एक के बाद एक लोगों को दी गई, लेकिन कानूनी दस्तावेजों में उसका मालिक वही रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि सेकेंड हैंड गाड़ियों की बिक्री में यह एक आम लापरवाही है, जो अपराधियों के लिए फायदा का सौदा बन जाती है।
तीन घंटे मस्जिद के पास खड़ी रही कार
सीसीटीवी फुटेज ने इस पूरे मामले को और रहस्यमय बना दिया है। जांच के अनुसार, कार फरीदाबाद से निकलकर बदरपुर बॉर्डर, आईटीओ, सराय काले खां होते हुए लाल किला इलाके में पहुंची। दोपहर 3:19 बजे यह एक मस्जिद के पास पार्क की गई और तीन घंटे तक वहीं खड़ी रही।
ड्राइवर ने इस दौरान गाड़ी से बाहर कदम नहीं रखा। शाम 6:48 बजे कार पार्किंग से निकली और नेताजी सुभाष मार्ग के ट्रैफिक सिग्नल तक पहुंची। ठीक 6:52 बजे, कार में जबरदस्त धमाका हुआ जिसने चारों ओर अफरा-तफरी मचा दी।
क्या आत्मघाती हमला था?
जांचकर्ताओं के अनुसार, कार में मौजूद व्यक्ति डॉ. उमर मोहम्मद था, जो फरीदाबाद में पकड़े गए आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा बताया जा रहा है। अब एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि यह आत्मघाती हमला था या रिमोट ट्रिगर ब्लास्ट।
एनएसजी (NSG) और फॉरेंसिक टीम ने मौके से आईईडी (Improvised Explosive Device) के अवशेष बरामद किए हैं। प्राथमिक जांच संकेत देती है कि कार में अमोनियम नाइट्रेट और फ्यूल ऑयल जैसे घटक इस्तेमाल किए गए थे।
मामला दर्ज, चार संदिग्ध हिरासत में
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इस मामले में UAPA, विस्फोटक अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस ने पहाड़गंज के एक होटल से चार संदिग्धों को हिरासत में लिया है। इनसे पूछताछ में कई अहम सुराग मिलने की उम्मीद है।
सुरक्षा एजेंसियां उन सभी लोगों से संपर्क कर रही हैं, जिन्होंने किसी भी समय यह कार खरीदी या बेची थी। जांच टीम का मानना है कि कार की बिक्री की यह जटिल कड़ी इस पूरे आतंकी नेटवर्क का केंद्रबिंदु बन सकती है।
जांच का फोकस अब नेटवर्क और फंडिंग पर
एनआईए और आईबी अब फरीदाबाद, गुरुग्राम, अंबाला और पुलवामा में छापेमारी कर रहे हैं। जांच एजेंसियां यह भी खंगाल रही हैं कि क्या इस नेटवर्क के पीछे किसी विदेशी आतंकी संगठन का हाथ था।
प्रारंभिक रिपोर्ट में इस बात की संभावना जताई गई है कि यह मॉड्यूल आईएस-खुरासान प्रोविंस (ISKP) या जैश-ए-मोहम्मद से प्रेरित था। एजेंसियां अब डिजिटल साक्ष्यों, मोबाइल लोकेशन और बैंक ट्रांजेक्शन का विश्लेषण कर रही हैं।
