नई दिल्ली:
केंद्र सरकार के स्वच्छता अभियान ने इस बार इतिहास रच दिया है। 2 से 31 अक्टूबर तक चले “स्वच्छता ही सेवा” विशेष अभियान के तहत सरकारी दफ्तरों, मंत्रालयों और विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों में बड़े पैमाने पर सफाई अभियान चलाया गया। इस दौरान अनुपयोगी वस्तुओं और कबाड़ को बेचकर सरकार ने लगभग 800 करोड़ रुपये की कमाई की है — यह राशि इसरो के चंद्रयान-3 मिशन (615 करोड़ रुपये) के बजट से भी अधिक है।
कबाड़ से कमाई और उपलब्धि
सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, अभियान के दौरान पुरानी फाइलें, टूटे फर्नीचर, जर्जर वाहन, पुराने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और मशीनें बेची गईं। इस पहल से 233 लाख वर्गफुट कार्यालय क्षेत्र खाली कराया गया। अब तक, 2021 से 2025 के बीच हुए सभी स्वच्छता अभियानों से 923 लाख वर्गफुट से अधिक स्थान मुक्त किया जा चुका है।
मंत्रालयों की भागीदारी
कुल 84 मंत्रालयों और विभागों ने इस अभियान में हिस्सा लिया। इनमें रेलवे मंत्रालय ने सबसे अधिक योगदान दिया, जिसने अकेले 225 करोड़ रुपये का कबाड़ बेचा। अगस्त 2025 तक जहां कुल कमाई 600 करोड़ रुपये थी, वहीं अक्टूबर के अंत तक यह बढ़कर 800 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
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सरकार की भविष्य की योजना
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार इस राशि का उपयोग प्रशासनिक सुधार, कार्यालयों के आधुनिकीकरण और स्वच्छता मिशन को और सशक्त करने में करेगी। इसके अलावा, प्राप्त राशि का एक हिस्सा रेलवे परियोजनाओं और नए वंदे भारत ट्रेनों की खरीद में लगाया जा सकता है। गौरतलब है कि एक वंदे भारत ट्रेन की औसत लागत लगभग 115 करोड़ रुपये है, यानी इस रकम से सात नई ट्रेनों की खरीद संभव है।
स्वच्छता अभियान की पृष्ठभूमि
स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को की थी। उस समय देश में लगभग 60 करोड़ लोग खुले में शौच करने को मजबूर थे। इसके बाद सरकार ने देशभर में 15 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण कराया और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाई।
