बीकानेर में राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर शुरू हुआ विशेष आयोजन
बीकानेर — राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में शुक्रवार को “वंदे मातरम 150” कार्यक्रमों की श्रृंखला की शुरुआत जोश और देशभक्ति के माहौल में की गई। प्रभात फेरी की शुरुआत भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारों के साथ जूनागढ़ के आगे से हुई, जिसे संभागीय आयुक्त विश्राम मीणा, महानिरीक्षक पुलिस हेमंत शर्मा, जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि और पुलिस अधीक्षक कावेंद्र सागर ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
देशभक्ति की धुन पर सजी प्रभात फेरी
प्रभात फेरी में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साइकिल धावक सबसे आगे रहे। पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे रोबिलों ने आकर्षण का केंद्र बनते हुए देशभक्ति का संदेश दिया। उनके पीछे पुलिस बल, एनएसएस, एनसीसी, स्काउट-गाइड के प्रतिनिधि, शिक्षक, विद्यार्थी और बड़ी संख्या में आमजन भी शामिल हुए। यह कारवां देशभक्ति के नारों के बीच शहीद स्मारक पहुंचा, जहां सभी ने शहीदों को नमन किया और श्रद्धांजलि अर्पित की।
स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों का हुआ सम्मान
कार्यक्रम के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया। आयोजकों ने बताया कि “वंदे मातरम 150” के तहत आने वाले महीनों में विभिन्न सांस्कृतिक, शैक्षणिक और जन-जागरण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि नई पीढ़ी राष्ट्रगीत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को समझ सके।
रवींद्र रंगमंच पर हुआ सांस्कृतिक समापन
प्रभात फेरी के प्रतिभागी शहीद स्मारक से आगे रवींद्र रंगमंच पहुंचे, जहां महिला अधिकारिता विभाग द्वारा सजी रंगोलियों ने देशभक्ति की भावना को और प्रखर बनाया। इस अवसर पर बीकानेर विकास प्राधिकरण की आयुक्त अपर्णा गुप्ता, अतिरिक्त जिला कलेक्टर (प्रशासन) सुरेश कुमार यादव, अतिरिक्त कलेक्टर (नगर) रमेश देव, संयुक्त निदेशक सामाजिक न्याय एल.डी. पंवार, जिला शिक्षा अधिकारी किशन दान चारण, महिला अधिकारिता विभाग की उपनिदेशक डॉ. अनुराधा सक्सेना, महिला एवं बाल विकास उपनिदेशक सुभाष बिश्नोई, पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक बीरमाराम, और सीओ स्काउट जसवंत राजपुरोहित सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।
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वंदे मातरम 150 : राष्ट्रभावना को सशक्त करने की पहल
अधिकारियों ने कहा कि इस श्रृंखला के माध्यम से राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्षों की गौरवगाथा को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा। यह आयोजन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की उस अमर भावना को पुनर्जीवित करने का प्रयास है, जिसने “वंदे मातरम” को देश की आत्मा से जोड़ दिया।
