मुरली मनोहर मैदान बनेगा गौसंरक्षण आंदोलन का केंद्र
बीकानेर के मुरली मनोहर मैदान, भीनासर में 7 नवंबर को संभाग स्तरीय विशाल गौशाला संचालक सभा आयोजित की जाएगी।
इस आयोजन का उद्देश्य राजस्थान में गौशालाओं और गोचर भूमि से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा करना और आगामी आंदोलन की रणनीति तय करना है।
आयोजन समिति के संयोजक जगदीश सिंह राजपुरोहित ने बताया कि यह सभा गौशालाओं के अधिकारों और अस्तित्व की रक्षा के लिए भविष्य के विरोध आंदोलन का शंखनाद होगी।
1500 से अधिक गौशालाओं की होगी सहभागिता
इस आयोजन में बीकानेर संभाग के साथ-साथ नागौर, कुचामन और डीडवाना क्षेत्रों की लगभग 1500 गौशालाओं के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
सहसंयोजक हनुमान तर्ड ने बताया कि सभा स्थल पर सैकड़ों बसों और छोटे वाहनों के लिए पार्किंग की विशेष व्यवस्था की गई है।
पार्किंग स्थल मुरली मनोहर गौशाला, उदारामसर रोड और धोरे के आसपास निर्धारित किए गए हैं।
संत-महात्माओं का आशीर्वाद और प्रमुख वक्ताओं की उपस्थिति
सभा में पोकरण विधायक महंत प्रताप पुरी जी महाराज सहित कई संत-महात्मा उपस्थित रहेंगे।
मुख्य वक्ता के रूप में गोचर संरक्षक संघ के प्रधान संरक्षक और गोचर आंदोलन के पुरोधा देवी सिंह भाटी सभा को संबोधित करेंगे।
आयोजन समिति के प्रवक्ता अगर सिंह कोटासर ने बताया कि यह सभा पूज्य संतों के सानिध्य में होगी और गोसंरक्षण के लिए सामूहिक संकल्प का मंच बनेगी।
गौशालाओं की दुर्दशा पर बोले संघ पदाधिकारी
संघ के सुनील व्यास ने कहा कि बीते तीन वर्षों से गौशालाएं प्रशासनिक उपेक्षा और विभागीय दबाव का सामना कर रही हैं।
सरकार की मंशा भले ही गौशालाओं को सहायता देने की रही हो, लेकिन गोपालन विभाग और स्थानीय प्रशासन के रवैये ने हालात बिगाड़ दिए हैं।
उन्होंने कहा कि यह सभा सरकार को वास्तविक स्थिति से अवगत कराने और नीतिगत सुधार की मांग के लिए आयोजित की जा रही है।
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गोचर भूमि संरक्षण को लेकर बनेगा एकजुटता का संकल्प
बीकानेर गौशाला संघ के उपाध्यक्ष सुरेश कुमार जोशी ने बताया कि सभा में राजस्थान की गोचर और ओरण भूमि की सुरक्षा के लिए प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
सभा में इस पर विचार होगा कि इन भूमियों को अवैध कब्जों और सरकारी लापरवाही से कैसे बचाया जाए तथा सरकार से सहयोग की रूपरेखा कैसी हो।
शासन व्यवस्था पर सवाल, चेतावनी भी दी गई
संघ के महामंत्री निरंजन सोनी ने कहा कि कुछ प्रशासनिक तंत्र सरकार के खिलाफ डीप स्टेट की तरह कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विरोध सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि उन व्यवस्थाओं के खिलाफ है जो गोचर और गौशाला प्रणाली को अस्थिर करना चाहती हैं।
उन्होंने सरकार से ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की ताकि जनता में सरकार के प्रति रोष उत्पन्न न हो।
