राजस्थान में बीएड कॉलेजों पर संकट, एनसीटीई की नई गाइडलाइन से बढ़ी मुश्किलें
राजस्थान में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत जारी नई गाइडलाइन के बाद प्रदेश के करीब 700 बीएड कॉलेजों का संचालन संकट में पड़ गया है। इन कॉलेजों में हर साल लगभग दो लाख अभ्यर्थी बीएड कोर्स में दाखिला लेते हैं, जिनका भविष्य अब अधर में लटक गया है।
नई नीति के तहत मल्टी-डिसिप्लिनरी संस्थानों की शर्त
एनसीटीई की नई गाइडलाइन के अनुसार, वर्ष 2030 तक सभी बीएड कॉलेजों को मल्टी-डिसिप्लिनरी इंस्टीट्यूट (बहु-विषयक संस्थान) के रूप में परिवर्तित करना अनिवार्य होगा। इसका अर्थ यह है कि अब ये कॉलेज केवल बीएड पाठ्यक्रम ही नहीं, बल्कि विज्ञान, समाजशास्त्र, कला, मानविकी और तकनीकी शिक्षा जैसे अन्य विषयों में भी कोर्स संचालित करेंगे। इसके लिए कॉलेजों को राज्य सरकार से सामान्य एकेडमिक कॉलेज की मान्यता लेना जरूरी होगा।
एनओसी नहीं मिलने से कॉलेजों पर ताला लगने का खतरा
राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने नए निजी कॉलेज खोलने पर रोक लगा रखी है। वर्ष 2022 में जारी आदेश के तहत 2022-23 और 2023-24 शैक्षणिक सत्रों के लिए नए निजी महाविद्यालयों को मान्यता देने पर रोक लगाई गई थी, जो अब तक जारी है। इसी कारण बीएड कॉलेजों को मल्टी-डिसिप्लिनरी संस्थान में परिवर्तित करने की प्रक्रिया रुक गई है।
कॉलेज संचालकों का कहना है कि विभाग से कई बार एनओसी (No Objection Certificate) मांगी गई, लेकिन अनुमति नहीं मिली। यदि यह स्थिति बनी रही तो 2030 के बाद बीएड कॉलेजों को एनसीटीई से प्रवेश की अनुमति नहीं मिलेगी।
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कमेटी बनी लेकिन फैसला अटका
विभाग ने नई गाइडलाइन के अध्ययन के लिए एक समिति का गठन किया था। सूत्रों के अनुसार, समिति ने बीएड कॉलेजों को सामान्य एकेडमिक कॉलेज संचालन की अनुमति देने की सिफारिश कर दी थी, लेकिन फाइल अब तक विभागीय स्तर पर अटकी हुई है। इस देरी के कारण कॉलेज प्रबंधन और अभ्यर्थियों दोनों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
एनसीटीई का रुख
एनसीटीई का स्पष्ट निर्देश है कि 2030 तक सभी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को मल्टी-डिसिप्लिनरी ढांचे में लाना अनिवार्य है। इस व्यवस्था का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना और अध्यापन को बहु-विषयक दृष्टिकोण से जोड़ना है।
कॉलेज शिक्षा आयुक्त ओमप्रकाश बैरवा ने बताया कि, “एनसीटीई की गाइडलाइन का विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है। इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है जो राज्य स्तर पर आवश्यक सुझाव देगी।”
छात्रों और कॉलेजों की चिंता
यदि विभाग जल्द निर्णय नहीं लेता, तो राज्य के 700 से अधिक बीएड कॉलेज बंद होने की संभावना है। इससे न केवल हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों पर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि दो लाख से ज्यादा छात्रों का भविष्य भी दांव पर लग जाएगा।
 
             
             
        
 
         
         
         
         
         
         
         
        