बीकानेर के विकाश सियाग की कहानी: खेतों से निकलकर प्रशासनिक सेवा तक का सफर
बीकानेर। कहते हैं कि सपनों की ऊंचाई आपकी परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती—इसी बात को सच कर दिखाया है श्रीकोलायत क्षेत्र के छोटे से गांव के किसान पुत्र विकाश सियाग ने। सीमित संसाधनों और कठिन हालात के बावजूद उन्होंने राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) परीक्षा 2023 में टॉप 10 में जगह बनाकर इतिहास रच दिया।
विकाश ने इस परीक्षा में 10वीं रैंक हासिल की है और अब वे बतौर एसडीएम (SDM) अपनी सेवाएं देने की तैयारी कर रहे हैं। उनका सफर हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानते।
गरीबी में बीता बचपन, किताबें जुटाने के लिए उधार तक लेना पड़ा
विकाश का बचपन बेहद साधारण लेकिन संघर्षपूर्ण रहा। उनके पिता खेती-बाड़ी के साथ ट्रक चलाकर घर का खर्च चलाते थे। पढ़ाई का शौक होने के बावजूद संसाधनों की भारी कमी थी। यहां तक कि दसवीं कक्षा की फीस और किताबों के लिए भी परिवार को उधार लेना पड़ा था।
परिवार की स्थिति देखकर अक्सर मां चिंतित रहती थीं और कहती थीं— “बेटा, ये बहुत बड़ी नौकरी है… क्या हम कभी यहां तक पहुंच पाएंगे?” लेकिन विकाश का हौसला जवाब नहीं जानता था।
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पहले प्रयास में असफलता, दूसरे में पाई ऐतिहासिक सफलता
RAS 2021 परीक्षा में उन्होंने पहला प्रयास किया और प्रारंभिक परीक्षा पास भी कर ली, लेकिन मुख्य परीक्षा में सफल नहीं हो सके। इस असफलता ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि और मजबूत बना दिया। उन्होंने अपनी तैयारी में पूरी ईमानदारी से खुद को झोंक दिया।
RAS 2023 में उनका दूसरा प्रयास था, जिसमें उन्होंने पूरे राजस्थान में 10वीं रैंक हासिल कर अपने गांव, जिले और परिवार का नाम रोशन कर दिया।
विकाश बोले: “मेहनत और धैर्य से हर बाधा पार की जा सकती है”
अपनी सफलता पर विकाश कहते हैं, “अगर आप सच्चे मन से लगातार मेहनत करते हैं, तो एक दिन परिस्थितियां भी आपके पक्ष में हो जाती हैं। रास्ते में कठिनाइयां जरूर आएंगी, लेकिन अगर लक्ष्य साफ है, तो मंजिल मिलकर रहती है।”
उनका सपना एक ईमानदार और संवेदनशील अधिकारी बनने का है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए काम करे। वे चाहते हैं कि उनके जैसे अन्य युवा भी सपनों से समझौता न करें, चाहे हालात जैसे भी हों।
श्रीकोलायत का नाम किया रोशन, युवाओं के लिए बने प्रेरणा
विकाश सियाग की सफलता ने न केवल उनके परिवार को गर्व महसूस कराया है, बल्कि पूरे बीकानेर जिले के लिए यह गर्व का क्षण है। एक छोटे से गांव से निकलकर प्रशासनिक सेवा तक पहुंचने की उनकी कहानी हर उस युवा को ऊर्जा देती है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ा सोचता है।