बीकानेर: गोचर भूमि बचाने को लेकर श्री मुरली मनोहर धोरा में उग्र आंदोलन की चेतावनी
बीकानेर/उदयरामसर।
बीकानेर विकास प्राधिकरण (BDA) द्वारा प्रस्तावित मास्टर प्लान में गोचर भूमि को आवासीय और व्यवसायिक परियोजनाओं के लिए चिन्हित किए जाने के खिलाफ श्री मुरली मनोहर धोरा, उदयरामसर में सोमवार को ‘गोचर ओरण बचाओ महाआंदोलन’ के बैनर तले सैकड़ों ग्रामीणों, संतों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि यह न केवल गोवंश के भविष्य पर सीधा हमला है, बल्कि धर्म और परंपरा के खिलाफ एक घातक कदम भी है। आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा गोचर भूमि के खसरों को अराजीराज करना पूर्ण रूप से अवैध, असंवैधानिक और समाज विरोधी है।
188 गांवों की गोचर भूमि पर खतरा
आंदोलन में शामिल प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि यह साजिश सिर्फ एक गांव या इलाके तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें शरह नथानियां, गंगाशहर, भीनासर, उदयरामसर सहित 188 गांवों की अमूल्य गोचर भूमि को निशाना बनाया जा रहा है।
इन क्षेत्रों की जमीनें परंपरागत रूप से गायों के चरागाह के रूप में संरक्षित रही हैं। अब इन्हें नया भूमि उपयोग घोषित कर बेचने या आवंटित करने की योजनाएं बनाई जा रही हैं, जो पूरी तरह से प्राकृतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक व्यवस्था के विरुद्ध है।
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प्रशासन की हरकतों से जनता में आक्रोश
बैठक में वक्ताओं ने बीकानेर प्रशासन और बीडीए को चेताते हुए कहा कि यदि गोचर भूमि पर अतिक्रमण या भूमि परिवर्तन की किसी भी प्रकार की कार्यवाही की गई तो उसका जबरदस्त विरोध किया जाएगा।
जनता में इस फैसले को लेकर जबरदस्त आक्रोश है, और यह आंदोलन अब सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं रहेगा बल्कि प्रभावशाली और निर्णायक मोड़ पर पहुंचेगा।
भविष्य की रणनीति: आंदोलन को बनाएंगे और अधिक प्रभावशाली
बैठक में निर्णय लिया गया कि आंदोलन को केवल बैठकों तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इसे आगे बढ़ाकर धरना-प्रदर्शन, जन जागरण और कानूनी कार्यवाहियों के माध्यम से बीडीए के खिलाफ मोर्चा खोला जाएगा।
सभी पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि जब तक गोचर भूमि को कानूनी सुरक्षा नहीं दी जाती और वर्तमान मास्टर प्लान में से उसका नाम हटाया नहीं जाता, आंदोलन स्थगित नहीं होगा।
इन प्रतिनिधियों ने दर्ज कराई उपस्थिति
बैठक में अनेक सामाजिक, धार्मिक और क्षेत्रीय संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। प्रमुख उपस्थितियों में शामिल थे –
नवदीप बीकानेरी, विजय कोचर (विश्व हिंदू परिषद), कैलाश भार्गव (हिंदू जागरण मंच), सूरजमल सिंह नीमराना, महेंद्र किराडू, निर्मल शर्मा, कैलाश सोलंकी, मनोज कुमार सेवग, सूरज प्रकाश राव, मिलन गहलोत, बंसीलाल तंवर, कनक चोपड़ा,
मूलचंद सामसुखा, धनपत मारू, रमेश गहलोत, यशवेंद्र चौधरी, योगेश गहलोत, श्याम धायल, धर्मेंद्र सारस्वत, एनडी भाटी, अमर सिंह पडिहार, सत्यनारायण स्वामी, महेश सांखी, चंद्रवीर सिंह नीमराना, सुभाष साहू सहित सैकड़ों गो-प्रेमी।
संक्षिप्त निष्कर्ष
बीकानेर में गोचर भूमि की रक्षा को लेकर शुरू हुआ यह महाआंदोलन अब जन-आंदोलन का रूप लेता जा रहा है।
प्रशासन द्वारा अगर समय रहते जनता की भावनाओं का सम्मान नहीं किया गया, तो आंदोलन और अधिक व्यापक एवं तेज़ होगा।
गोचर भूमि केवल ज़मीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि संस्कृति, आस्था और गोवंश की जीवन रेखा है, जिसकी रक्षा के लिए लोग अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं।