नई दिल्ली। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने रविवार को राजधानी दिल्ली में अपनी दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें पहली बार महिला पत्रकारों को शामिल किया गया। यह प्रेस वार्ता शांतिपथ स्थित अफगान दूतावास में हुई, जहां मुत्तकी ने दूतावास पर तालिबान के पूर्ण नियंत्रण का दावा करते हुए कहा, “यह हमारा झंडा है, हमने इसके नीचे जिहाद लड़ा है, और यहां कार्यरत सभी हमारे साथ हैं।” इस दौरान दूतावास परिसर में तालिबान का झंडा लहराता दिखा, जबकि भारत सरकार ने अभी तक तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता नहीं दी है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसी भी महिला पत्रकार को नहीं बुलाया गया था, जिसके बाद भारतीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसकी आलोचना की थी। रविवार की प्रेस वार्ता में 50 से अधिक पत्रकारों ने भाग लिया, जिनमें कई महिला और विदेशी संवाददाता भी शामिल थे। यह बदलाव तालिबान की छवि सुधारने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है।
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मुत्तकी ने बताया कि उनकी भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर से व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा, हवाई संपर्क और विकास परियोजनाओं को लेकर सकारात्मक बातचीत हुई। भारत ने व्यापार वीजा, छात्र विनिमय और लंबित परियोजनाओं को फिर से शुरू करने का आश्वासन दिया है।
मुत्तकी ने बताया कि नई उड़ान सेवाएं दिल्ली-काबुल, मुंबई-कंधार और अमृतसर-अफगानिस्तान के बीच शुरू करने पर चर्चा हुई है। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच संयुक्त व्यापार समिति के गठन, खनन सहयोग, कृषि परियोजनाओं और खेल कूटनीति पर भी विचार हुआ। उन्होंने अटारी-वाघा सीमा अफगान व्यापार के लिए खोलने और चाबहार पोर्ट के माध्यम से व्यापार बढ़ाने की भी मांग की।
महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों पर सवाल पूछे जाने पर मुत्तकी ने कहा, “इस्लाम में सभी के अधिकार सुरक्षित हैं। शिक्षा हराम नहीं है। वर्तमान में देशभर में एक करोड़ से अधिक छात्र, जिनमें लड़कियां भी शामिल हैं, अध्ययन कर रहे हैं।” हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इसे अपर्याप्त बताया है।
अपनी भारत यात्रा के दौरान मुत्तकी का प्रतिनिधिमंडल देवबंद भी गया, जहां उन्होंने दारुल उलूम के विद्वानों से मुलाकात की और भारत-अफगानिस्तान के ऐतिहासिक धार्मिक संबंधों को मजबूत करने की बात कही। उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि “हम शांति चाहते हैं, लेकिन यदि कोई गलत रवैया अपनाएगा, तो हम अपनी सुरक्षा संभालना जानते हैं।”
हालांकि अफगान दूतावास के कुछ स्थानीय कर्मियों ने तालिबान का झंडा फहराने को लेकर चिंता व्यक्त की है, क्योंकि भारत ने अब तक तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी है। मुत्तकी की यह यात्रा भारत-अफगान रिश्तों के नए चरण की शुरुआत मानी जा रही है, लेकिन कूटनीतिक और सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं।