पीबीएम में वेतन नहीं मिलने से कर्मचारियों का फूटा गुस्सा, प्राचार्य ऑफिस के बाहर धरना
बीकानेर के पीबीएम अस्पताल और मेडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही ने कर्मचारियों को सड़क पर उतरने को मजबूर कर दिया है। मंगलवार को सैकड़ों संविदा कर्मचारी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी के कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन पर बैठ गए।
इन कर्मचारियों की तैनाती अस्पताल में काम कर रही पन्नादाय फर्म के माध्यम से हुई थी, लेकिन उन्हें पिछले पांच महीनों से वेतन नहीं मिला है। साथ ही पीएफ (Provident Fund) और ईएसआई (Employee State Insurance) जैसे जरूरी अधिकारों की राशि भी अब तक जमा नहीं की गई, जिससे कर्मचारी बेहद नाराज और परेशान हैं।
पांच महीने से वेतन नहीं, शिकायतों पर भी चुप्पी
धरने पर बैठे कर्मचारियों ने बताया कि वे लगातार शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन न तो फर्म कोई जवाब देती है और न ही प्रशासन कोई कार्रवाई करता है। इस मामले की शिकायत संभागीय आयुक्त तक की गई थी, जिसके बाद प्राचार्य को फर्म को नोटिस देने के आदेश जारी हुए।
प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी ने फर्म को सात दिन का अल्टीमेटम दिया था कि सभी कर्मचारियों को वेतन दिया जाए, लेकिन नोटिस की अवधि समाप्त हुए भी एक सप्ताह से अधिक बीत गया है। इसके बावजूद न तो भुगतान हुआ और न ही फर्म पर कोई दंडात्मक कार्रवाई की गई।
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प्राचार्य पर संरक्षण देने के गंभीर आरोप
कर्मचारियों का कहना है कि यह सब कुछ प्रशासन की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। धरना दे रहे एक कर्मचारी ने कहा, “अगर प्राचार्य वास्तव में गंभीर होते, तो फर्म नोटिस के बाद भी इस तरह की हिम्मत नहीं करती। साफ है कि फर्म को प्राचार्य का संरक्षण मिल रहा है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई कर्मचारी प्रदर्शन में डर के कारण शामिल नहीं हो पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी दी जा रही है। इसके बावजूद बड़ी संख्या में कर्मचारी मैदान में डटे हुए हैं और कह रहे हैं कि अब चुप नहीं बैठेंगे।
आंदोलन होगा और उग्र
धरना दे रहे कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र वेतन का भुगतान नहीं हुआ और फर्म के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की गई, तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा।
कर्मचारियों का कहना है कि उनकी आर्थिक स्थिति बदहाल हो चुकी है। “हम बच्चों की फीस नहीं भर पा रहे, घर का राशन नहीं ला पा रहे, और अब धैर्य की सीमा पार हो चुकी है।”
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने सवाल उठाया कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन आखिर किस दबाव में चुप बैठा है? क्यों एक फर्म को, जो श्रमिकों का शोषण कर रही है, अब तक कोई दंड नहीं मिला?
पांच महीने की मेहनत की कमाई, परिवार की जिम्मेदारियां और भविष्य की अनिश्चितता ने कर्मचारियों को न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर कर दिया है।