पुष्करणा समाज की ऐतिहासिक परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सामूहिक विवाह ‘सावे’ की तारीख तय
बीकानेर में पुष्करणा समाज की सदियों पुरानी परंपरा के तहत आयोजित होने वाले सामूहिक विवाह समारोह—पुष्करणा सावे की अगली तिथि का ऐलान कर दिया गया है। विजयादशमी की पावन संध्या पर, जस्सोलाई तलाई के पास स्थित महादेव मंदिर में समाज के विद्वान पंडितों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में घंटों तक गहन शास्त्रार्थ और विचार-विमर्श हुआ।
अंततः सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि अगला पुष्करणा सावे 10 फरवरी 2026 को आयोजित किया जाएगा। यह तारीख विभिन्न पंचांगों, नक्षत्रों और धार्मिक दृष्टिकोण से गहराई से जांचने के बाद तय की गई है।
राजपरिवार से ली जाएगी औपचारिक सहमति
तिथि की घोषणा के बाद अब इसे बीकानेर के राजपरिवार के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। परंपरा के अनुसार, राजपरिवार की सहमति के बाद ही सावे से संबंधित सभी मांगलिक कार्यों का आधिकारिक कैलेंडर तैयार कर जारी किया जाएगा।
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शास्त्रार्थ बना आकर्षण का केंद्र, लाइव प्रसारण की गई व्यवस्था
शास्त्रार्थ की यह पूरी प्रक्रिया एक धार्मिक आयोजन के रूप में संपन्न हुई, जिसमें जुगल किशोर ओझा, पंडित अशोक ओझा, पंडित राजेन्द्र किराड़ू, सुशील किराड़ू सहित कई प्रमुख विद्वान और समाजसेवी उपस्थित थे। इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और मंदिर परिसर के बाहर विशाल स्क्रीन पर लाइव प्रसारण की व्यवस्था की गई थी, ताकि जो लोग अंदर नहीं पहुंच पाए, वे भी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन सकें।
हर दो वर्ष में होता है आयोजन
पुष्करणा सावे हर दो वर्षों में एक बार आयोजित होता है, जिसमें एक ही दिन समाज के सैकड़ों परिवार अपने बच्चों के विवाह संपन्न करते हैं। बीकानेर इस दिन एक साझे घर की तरह सजता है—हर गली, हर मोहल्ला और हर घर शादी के जश्न में डूबा होता है।
यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्त्व रखता है, बल्कि समाजिक एकता, संस्कृति और परंपरा का जीवंत उदाहरण भी है। पुष्करणा सावे के जरिए समाज न केवल विवाह को एक सामूहिक उत्सव के रूप में मनाता है, बल्कि सादगी और संगठन की मिसाल भी पेश करता है।


