बीकानेर में आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर के खिलाफ धरना 23वें दिन भी जारी, 7 अक्टूबर को कलेक्ट्री घेराव की घोषणा
बीकानेर:
बीकानेर शहर में एक निजी अस्पताल के खिलाफ चल रहे धरने ने अब बड़ा रूप ले लिया है। कांग्रेस के युवा नेता रामनिवास कूकणा की अगुवाई में आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर के बाहर बीते 23 दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनकारियों ने अब एलान किया है कि वे 7 अक्टूबर को हजारों लोगों के साथ कलेक्ट्री का घेराव करेंगे।
धरने की अगुवाई कर रहे हैं युवा कांग्रेस नेता
इस धरने का नेतृत्व कर रहे हैं कांग्रेस के उभरते हुए नेता रामनिवास कूकणा, जो लगातार पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। धरने में शामिल लोग अस्पताल पर लापरवाही, अनियमितता और अमानवीय व्यवहार के आरोप लगा रहे हैं। प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करवाई जाए।
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NSUI अध्यक्ष का बयान: न्याय मिलने तक जारी रहेगा संघर्ष
एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष हरिराम गोदारा ने कहा कि:
“हम 23 दिनों से लगातार धरने पर बैठे हैं। पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए अब कलेक्ट्री का घेराव करेंगे। बीकानेर ही नहीं, आसपास के इलाकों से भी लोग 7 अक्टूबर को शामिल होंगे।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से किया जा रहा है।
7 अक्टूबर को बड़े प्रदर्शन की तैयारी
रामनिवास कूकणा ने कहा है कि:
“हमारा आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर है। अगर अब भी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो 7 अक्टूबर को बीकानेर कलेक्ट्री के सामने हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा होगी। यह जनता की आवाज है, जिसे अनसुना नहीं किया जा सकता।”
प्रदर्शनकारियों के अनुसार, इस प्रदर्शन में कई कांग्रेस नेता भी शामिल हो सकते हैं। हालांकि, अभी तक किसी बड़े राजनीतिक चेहरे की मौजूदगी सामने नहीं आई है।
आयुष्मान हार्ट केयर सेंटर पर क्या हैं आरोप?
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि अस्पताल में:
- चिकित्सकीय लापरवाही के चलते कई मरीजों को नुकसान पहुंचा है।
- अस्पताल द्वारा गलत तरीके से आयुष्मान कार्ड का इस्तेमाल किया गया।
- मरीजों से अनुचित धन वसूली और अभद्र व्यवहार की भी शिकायतें मिली हैं।
धरने में शामिल लोगों ने प्रशासन से अस्पताल की पूरी जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
धरना स्थल पर मौजूद लोगों ने सवाल उठाया कि अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई या संवाद नहीं किया गया है। उनका कहना है कि पीड़ित परिवारों की अनदेखी न्याय प्रणाली पर सवाल खड़े करती है।