गौचर भूमि अधिग्रहण के विरोध में उग्र हुआ जनआंदोलन, कलेक्ट्रेट पर सैकड़ों गौप्रेमियों का प्रदर्शन
राजस्थान में गौचर भूमि अधिग्रहण के सरकारी आदेश के खिलाफ लोगों का विरोध अब तेज हो गया है। सोमवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर भारी संख्या में गौप्रेमी, संत, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी और स्थानीय नागरिक एकत्र हुए और सरकार के निर्णय के विरोध में जबरदस्त प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन में शहर और ग्रामीण इलाकों से आए सैकड़ों लोग शामिल हुए। सभी ने गौचर भूमि की रक्षा और गायों के प्राकृतिक आश्रयस्थल को बचाने के लिए सरकार से पुनर्विचार की मांग की।
संतों और नेताओं ने मंच से उठाई आवाज
प्रदर्शन के दौरान मंच पर मौजूद संतों, धार्मिक गुरुओं और विभिन्न संगठनों के नेताओं ने गौचर भूमि के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। वक्ताओं ने कहा कि गौचर भूमि केवल पशुओं के चारे का स्रोत नहीं, बल्कि ग्राम्य संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का आधार है।
सभी ने एक सुर में कहा कि अगर सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया, तो प्रदेशभर में बड़ा जनआंदोलन छेड़ा जाएगा।
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कलेक्ट्रेट घेराव और पुलिस से टकराव
प्रदर्शन के दौरान कुछ आक्रोशित गौप्रेमी बेरिकेड्स पर चढ़ गए और कलेक्ट्रेट परिसर का घेराव कर लिया। हालात को देखते हुए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा और मौके पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया।
गौप्रेमी लगातार सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे और ‘गौचर भूमि हमारी है, कोई नहीं ले सकता’, जैसे नारों से माहौल गर्मा गया।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि प्रशासन ने अब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है, जबकि इस मुद्दे पर जनता लगातार आक्रोशित है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि गौचर भूमि को अधिग्रहित करने का आदेश तुरंत वापस लिया जाए और भविष्य में ऐसी भूमि को संरक्षित किया जाए।
क्या है मामला?
गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने कुछ क्षेत्रों में गौचर भूमि को सरकारी उपयोग के लिए अधिग्रहित करने का आदेश जारी किया था। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह निर्णय गायों के चरने की पारंपरिक जमीन को खत्म कर देगा, जिससे न सिर्फ पशुधन प्रभावित होगा, बल्कि ग्राम्य जीवन और जैव विविधता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
संभावित आंदोलन की चेतावनी
संतों और संगठनों ने साफ शब्दों में कहा है कि यदि सरकार ने निर्णय वापस नहीं लिया, तो प्रदेशभर में धरना-प्रदर्शन और चक्का जाम जैसे आंदोलनात्मक कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने सरकार से संवेदनशीलता और पारंपरिक मूल्यों का सम्मान करने की अपील की है।