मोहन भागवत का बयान: शेल्टर नहीं, आबादी नियंत्रण है आवारा कुत्तों की समस्या का स्थायी समाधान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने देशभर में बढ़ रही स्ट्रीट डॉग्स की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि केवल शेल्टर होम में इन कुत्तों को रखना कोई स्थायी हल नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस चुनौती से निपटने के लिए वैज्ञानिक और मानवीय तरीकों से उनकी जनसंख्या को नियंत्रित करना अनिवार्य है।
उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सार्वजनिक स्थलों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने को लेकर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा था कि यदि कोई व्यक्ति इन जानवरों की सेवा करना चाहता है, तो उसे उन्हें अपने घर या शेल्टर में रखकर देखभाल करनी चाहिए।
मनुष्य और प्रकृति में संतुलन ज़रूरी: भागवत
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मोहन भागवत ने अपने बयान में कहा, “प्रकृति और मानव के बीच संतुलन बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। बढ़ती कुत्तों की आबादी से ना सिर्फ आम जनता प्रभावित हो रही है, बल्कि यह स्वास्थ्य और सुरक्षा का गंभीर विषय बनता जा रहा है।” उन्होंने नसबंदी, टीकाकरण और स्थानीय प्रशासन की भागीदारी के माध्यम से व्यापक जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम चलाने की बात कही।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने हाल में नोएडा में स्ट्रीट डॉग्स को सार्वजनिक स्थानों पर भोजन कराने से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि लोगों को कुत्तों को सार्वजनिक जगहों पर खाना देने से परहेज करना चाहिए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि जानवरों की देखभाल घर या उचित शेल्टर में की जानी चाहिए और प्रशासन को लोगों और जानवरों दोनों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने होंगे।
नीति निर्माण की आवश्यकता
भागवत के बयान ने इस मुद्दे को एक नीति-आधारित दृष्टिकोण की ओर मोड़ दिया है। उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर एक ऐसी व्यापक नीति बनानी चाहिए जिसमें जनसंख्या नियंत्रण, पशु कल्याण, और नागरिक सुरक्षा के सभी पक्षों को ध्यान में रखा जाए। उन्होंने स्थानीय निकायों और पशु कल्याण संगठनों को भी इस प्रक्रिया में शामिल करने पर बल दिया।
देश में बढ़ते हमलों के आंकड़े
देशभर में आवारा कुत्तों के हमलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। अगस्त 2025 तक केवल इस वर्ष ही कुत्तों के काटने के कारण तीन मौतें दर्ज की जा चुकी हैं।
2020 से 2025 तक कुत्तों के काटने की घटनाएं (लाख में):
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2020: 1.10
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2021: 1.26
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2022: 1.65
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2023: 2.02
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2024: 2.13
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2025 (अब तक): 1.88
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि यह समस्या केवल पशु कल्याण से जुड़ा मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा का बड़ा सवाल बन गया है।
निष्कर्ष
मोहन भागवत का यह बयान, सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी और बढ़ते हमलों के आंकड़े मिलकर इस दिशा में एक समग्र और दीर्घकालिक नीति की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। सरकार के साथ-साथ समाज को भी इस संवेदनशील मुद्दे पर सक्रिय और संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।