2027 की जनगणना में डिजिटल बदलाव: हर मकान को मिलेगा यूनिक डिजिटल एड्रेस, प्रगणक करेंगे ऐप से सर्वे
भारत सरकार 2027 में होने वाली जनगणना को पहले से कहीं अधिक आधुनिक और डिजिटल बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। जनगणना कार्य निदेशालय के अनुसार, 2026 में शुरू होने वाले पहले चरण में हर मकान का डिजिटल एड्रेस तैयार किया जाएगा। यह पहली बार होगा जब प्रगणक कागज की जगह डिजिटल डिवाइस और मोबाइल ऐप का उपयोग करेंगे।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आधारित होगी जनगणना
सरकारी अधिकारियों ने बताया कि मकान सूचीकरण का काम अप्रैल 2026 से सितंबर 2026 के बीच पूरा किया जाएगा, जिसमें लगभग 30 दिनों का समय लगेगा। इसके लिए एक विशेष ऐप का उपयोग किया जाएगा, जिससे प्रत्येक घर का सटीक लोकेशन डेटा, संरचना, और उपयोग की जानकारी दर्ज की जाएगी।
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महत्वपूर्ण बातें जो जनगणना 2027 को बनाएंगी अलग:
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डिजिटल डिवाइस से प्रगणन: हर प्रगणक टैबलेट या स्मार्टफोन के जरिए जनगणना की जानकारी इकट्ठा करेगा।
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हर मकान का यूनिक डिजिटल एड्रेस: इससे योजनाओं के लागू करने में आसानी होगी और सरकारी डाटाबेस मजबूत होगा।
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स्वयं जानकारी भरने का विकल्प: नागरिकों को खुद से जनगणना फॉर्म भरने की सुविधा ऑनलाइन दी जाएगी।
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पूछे जाएंगे आर्थिक और सामाजिक सवाल: जैसे कि व्यक्ति क्या काम करता है, उस पर कोई लोन है या नहीं, वर्तमान और पूर्व निवास आदि।
जनगणना और नागरिकता: कोई संबंध नहीं
जनगणना से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह कार्य केवल आंकड़ों के संग्रह के लिए है और नागरिकता से इसका कोई सीधा संबंध नहीं है। इसमें हर व्यक्ति को शामिल किया जाता है, चाहे वह भारतीय नागरिक हो या विदेशी निवासी।
प्रशिक्षण और तैयारियों में लगते हैं महीने
जनगणना के दो चरणों के बीच लंबा अंतराल प्रशिक्षण के कारण रखा जाता है। पहले चरण में मकान सूचीकरण होता है, जबकि दूसरा चरण फरवरी 2027 में शुरू होगा, जिसमें व्यक्तिगत जानकारियाँ दर्ज की जाएंगी। इसके लिए पहले मास्टर ट्रेनर बनाए जाते हैं, फिर उन्हें ट्रेनर्स और अंत में प्रगणकों को प्रशिक्षित किया जाता है।
राजस्थान में होगी पहली बार डिजिटल जनगणना की शुरुआत
राजस्थान वह पहला राज्य होगा जहां डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रयोग करते हुए जनगणना की शुरुआत होगी। इससे तकनीकी आधार पर देशभर के अन्य राज्यों के लिए मॉडल तैयार किया जाएगा।
गलत जानकारी देना अपराध
जनगणना अधिनियम के तहत यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर गलत जानकारी देता है या जनगणना में सहयोग करने से मना करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। जुर्माना या जेल की सजा का भी प्रावधान है।
एनपीआर की कोई जानकारी नहीं जुटाई जाएगी
इस बार की जनगणना में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) से जुड़ी कोई जानकारी नहीं ली जाएगी। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि केवल जनगणना उद्देश्यों के लिए ही प्रश्न पूछे जाएंगे।
निष्कर्ष
जनगणना 2027 देश की पहली पूर्ण डिजिटल जनगणना होगी, जो न सिर्फ तकनीकी रूप से उन्नत होगी बल्कि योजना निर्माण, शहरी विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में सटीक और समयबद्ध डाटा उपलब्ध कराएगी। डिजिटल इंडिया की दिशा में यह एक बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है।