भारत को रूस से तेल खरीद पर घेरने वाले देश खुद कर रहे कारोबार, भारत ने पेश किए आंकड़े
भारत के रूस से तेल और अन्य उत्पाद खरीदने के फैसले की आलोचना कर रहे अमेरिका और यूरोपीय संघ के कई देश खुद रूस से व्यापार में लगे हैं। भारत सरकार ने इस दोहरे रवैये पर सवाल उठाते हुए आंकड़ों के साथ जवाब दिया है।
भारत की सफाई और अमेरिका-ईयू की असलियत
विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा कि भारत का रूस से तेल आयात करना पूरी तरह ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक आपूर्ति संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी था। भारत के अनुसार, जब रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पश्चिमी देशों ने रूसी तेल से दूरी बनाई, तब भारत ने वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर बनाए रखने में भूमिका निभाई।
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भारत ने तर्क दिया कि जो देश आज आलोचना कर रहे हैं, वही आज भी रूस से व्यापार कर रहे हैं:
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चीन रूस से सबसे बड़ा आयातक बना हुआ है – ₹129 लाख करोड़ (32.7%)
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भारत – ₹66.1 लाख करोड़ (16.8%)
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यूरोपीय संघ और तुर्किये – दोनों का व्यापार बराबर है – ₹31 लाख करोड़ (7.9%)
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अमेरिका और जापान जैसे देश भी रूस से फर्टिलाइज़र, यूरेनियम और तकनीकी सामग्री ले रहे हैं।
भारत पर टैरिफ की धमकी और जवाब
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ और जुर्माने की धमकी दी है। ट्रंप ने कहा कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखता है तो उस पर भारी-भरकम शुल्क लगाया जाएगा। जवाब में भारत ने कहा कि अमेरिका और ईयू खुद भी रूस से व्यापार कर रहे हैं:
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अमेरिका ने 2024 में भारत से $87.4 अरब का आयात किया जबकि भारत ने $41.8 अरब का।
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इससे अमेरिका का व्यापार घाटा $45.7 अरब का है। यदि टैरिफ बढ़ाया गया, तो अमेरिका में भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे जिससे भारत का निर्यात घट सकता है।
यूरोपीय प्रतिबंध का असर
यूरोपीय संघ ने रूसी तेल से रिफाइन हुए उत्पादों के आयात पर रोक लगाई है। इससे भारत की रिफाइनरियों को बड़ा झटका लग सकता है क्योंकि भारत ने 2024 में यूरोप को $20.5 अरब का तेल निर्यात किया, जो 2019 में $5.9 अरब था।
भारत का तर्क: नीति के तहत तेल खरीदा
भारत में अमेरिका के राजदूत रहे एरिक गार्सेटी ने खुद कहा था कि भारत ने एक रणनीतिक नीति के तहत रूस से तेल खरीदा ताकि वैश्विक तेल कीमतें काबू में रहें।
पश्चिमी देशों की वास्तविकता
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यूरोपीय संघ ने 2024 में रूस से $77.9 अरब का व्यापार किया, जो भारत-रूस व्यापार ($68.7 अरब) से ज्यादा है।
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रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भी ईयू ने रूस से 105.6 अरब डॉलर का तेल-गैस आयात किया, जो उसके सैन्य बजट का 75% है।
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अकेले 2024 में ईयू ने रूस से LNG आयात को 9% बढ़ा दिया।
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अमेरिका भी पैलेडियम, फर्टिलाइज़र और यूरेनियम जैसे उत्पाद रूस से खरीदता रहा है।
निष्कर्ष
भारत पर लगाए जा रहे आरोप पूरी तरह दोहरे मापदंड को दर्शाते हैं। एक तरफ पश्चिमी देश खुद रूस से व्यापार कर रहे हैं, दूसरी तरफ भारत की आलोचना कर रहे हैं। भारत ने साफ कहा है कि वह अपने हितों की सुरक्षा के लिए स्वतंत्र और संतुलित नीति अपनाएगा, चाहे अंतरराष्ट्रीय दबाव कितना भी हो।