भारत से रिश्ते बिगाड़ने पर ट्रंप को अमेरिका में ही घेरा गया, निक्की हेली ने दी नसीहत
रूस से सस्ते तेल की खरीद पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की धमकियों और बयानबाज़ी के बावजूद भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।
भारत सरकार रूस से तेल आयात जारी रखेगी और इसके लिए अमेरिका के दबाव को नज़रअंदाज़ कर रही है। ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने की धमकियों के बीच भारत अब निर्यातकों को राहत देने की तैयारी में है। केंद्र सरकार 25% ट्रंप टैरिफ का मुकाबला करने के लिए ‘निर्यात संवर्धन मिशन’ के तहत 20,000 करोड़ रुपये का विशेष फंड बनाने जा रही है।
यह फंड सितंबर से लागू होगा, जिसमें निर्यात वित्तपोषण, नियमन में सुधार, वैश्विक मानकों को पूरा करने और बाजार तक पहुंच जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, भारतीय निर्यातकों को ब्रांड इंडिया को मजबूत करने, स्वदेशी उत्पादों का विकास और उनके वैश्विक विपणन में भी मदद मिलेगी।
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ट्रंप की बयानबाज़ी पर अमेरिका में ही विरोध
भारत के खिलाफ ट्रंप की बयानबाज़ी पर अमेरिका में ही राजनीतिक विरोध देखने को मिल रहा है। रिपब्लिकन पार्टी की वरिष्ठ नेता निक्की हेली ने ट्रंप की आलोचना करते हुए इसे ‘दोहरा मापदंड’ बताया।
निक्की हेली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि अमेरिका विरोधी चीन, रूस और ईरान को 90 दिनों की टैरिफ छूट देना और भारत जैसे सहयोगी देश को धमकाना पूरी तरह गलत है। उन्होंने चेतावनी दी कि ट्रंप को भारत जैसे रणनीतिक साझेदार से रिश्ते नहीं बिगाड़ने चाहिए।
ट्रंप की नई धमकी: फिर बढ़ा सकते हैं टैरिफ
एक टीवी इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि भारत रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को परोक्ष रूप से बढ़ावा दे रहा है, जो अमेरिका के हित में नहीं है। उन्होंने दावा किया कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार तो करता है, लेकिन अमेरिका को बराबरी का अवसर नहीं देता।
ट्रंप ने यह भी कहा कि फार्मास्युटिकल्स और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों पर अगले एक सप्ताह में नए टैरिफ लगाए जा सकते हैं।
रूस की तीखी प्रतिक्रिया
भारत से तेल व्यापार को लेकर ट्रंप की धमकियों पर रूस ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेश्कोव ने कहा कि किसी भी देश को यह निर्देश देना कि वह रूस से व्यापार न करे, अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि हर संप्रभु राष्ट्र को यह तय करने का अधिकार है कि वह किन देशों के साथ आर्थिक संबंध रखे। ट्रंप की धमकी को रूस ने अपने व्यापारिक साझेदारों के खिलाफ सीधी और अनुचित चेतावनी बताया।
निष्कर्ष
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह वैश्विक दबावों के आगे नहीं झुकेगा। अमेरिका के साथ संबंधों की अहमियत अपनी जगह है, लेकिन भारत अपनी आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोपरि रखेगा। अब जब अमेरिका के भीतर से भी ट्रंप की नीतियों पर सवाल उठने लगे हैं, तो यह भारत की विदेश नीति की सफलता के रूप में देखा जा रहा है।