


आज 5 अगस्त है—एक ऐसी तारीख जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दो ऐतिहासिक फैसलों से हमेशा के लिए खास बना दिया है। 2019 में इसी दिन अनुच्छेद 370 हटाकर जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किया गया था, और 2020 में इसी तारीख को अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास हुआ।
इन फैसलों के बाद से 5 अगस्त को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में विशेष उत्सुकता देखी जाती है। इस बार भी 5 अगस्त से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने एनडीए सहयोगी दलों की एक अहम बैठक बुलाई, जिसके बाद यह अटकलें तेज हो गईं कि क्या एक बार फिर कोई बड़ा निर्णय लिया जाने वाला है?
बीते रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अलग-अलग मुलाकातों ने भी राजनीतिक हलचलों को और हवा दी है। हालांकि सरकारी सूत्र इन बैठकों को औपचारिक और शिष्टाचार भेंट बता रहे हैं, लेकिन सियासी गलियारों में चर्चाएं गर्म हैं कि कुछ अहम निर्णय की तैयारी चल रही है।
इस सबके बीच गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, रॉ और आईबी प्रमुखों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक भी की है। यह बैठक संसद भवन स्थित एक कक्ष में हुई, जिसमें जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति की छठी वर्षगांठ और आगामी स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गई।
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एनडीए की हालिया बैठक में सहयोगी दलों को भी आमंत्रित किया गया, जो आमतौर पर भाजपा संसदीय दल की बैठकों में कम देखा जाता है। कुछ जानकारों का मानना है कि यह उपराष्ट्रपति चुनाव की रणनीति से जुड़ा हो सकता है, जबकि अन्य इसे किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की भूमिका मान रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयं 5 अगस्त की तारीख को ‘नई शुरुआत’ और ‘राष्ट्र निर्माण’ का प्रतीक बता चुके हैं। वर्ष 2021 में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि अगस्त का महीना भारत के लिए उपलब्धियों से भरा होता है और 5 अगस्त की तारीख आने वाले वर्षों के लिए ऐतिहासिक बन चुकी है।
इसी पृष्ठभूमि में अब सवाल उठ रहा है—क्या इस 5 अगस्त को भी कोई नई राजनीतिक दिशा या बड़ा राष्ट्रीय फैसला सामने आने वाला है? जवाब अभी अनिश्चित है, लेकिन पूरे देश की नजरें जरूर इस तारीख पर टिकी हुई हैं।