राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में पर्यावरण के लिए जीवनरेखा मानी जाने वाली खेजड़ी के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और अब जलाने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। बीकानेर से लेकर जैसलमेर और बाड़मेर तक लगातार खेजड़ी का विनाश प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर रहा है।
ताजा मामला बाड़मेर जिले के शिव उपखंड के बरियाड़ा और खोड़ाल गांवों का है, जहां रात के अंधेरे में खेजड़ी के पेड़ों को आग के हवाले कर दिया गया। सूचना मिलते ही निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी मौके पर पहुंचे और धरने पर बैठे ग्रामीणों से मुलाकात की।
विधायक भाटी प्रशासन पर भड़क गए और मौके पर पहुंचे रामसर डीएसपी मानाराम गर्ग से कहा, “रात में यहां खेजड़ी जलाई गई और आपको पता ही नहीं? आपकी गश्त सोती है क्या? चेतक गाड़ियां क्या खेलने के लिए मिली हैं?” उन्होंने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई और गश्त व्यवस्था की पोल खोल दी।
इसके बाद विधायक भाटी खुद अधिकारियों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे, जहां जली हुई खेजड़ी की राख से अब भी धुआं उठ रहा था। भाटी वहीं धरने पर बैठ गए और पूरी रात चारपाई पर घटनास्थल पर ही गुजारी।
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गौरतलब है कि खोड़ाल गांव में पिछले चार महीनों से ग्रामीण और किसान सोलर कंपनी के खिलाफ धरने पर बैठे हैं। उनकी मांग है कि उन्हें जमीन का उचित मुआवजा दिया जाए और ओरण भूमि को मवेशियों के लिए सुरक्षित रखा जाए।
पर्यावरण प्रेमियों और ग्रामीणों की लगातार मांगों के बावजूद प्रशासन और सरकार की निष्क्रियता से लोगों में गुस्सा गहराता जा रहा है। खेजड़ी जैसे पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने वाले पेड़ों का कटना या जलना न केवल प्रकृति के साथ खिलवाड़ है, बल्कि यह ग्रामीणों की आस्था और जीवनशैली पर भी सीधा हमला है।