


दिल्ली-NCR में मेगा मॉक ड्रिल: भूकंप जैसी आपदाओं से निपटने की तैयारी का परीक्षण
शुक्रवार सुबह दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में अचानक सायरन बजने लगे, जिससे आम लोग चौंक गए। आपातकालीन वाहनों की तेज़ आवाजाही और सक्रिय बचाव टीमें देखकर कई लोगों को लगा कि कोई गंभीर हादसा हो गया है। हालांकि, जल्द ही स्पष्ट हो गया कि यह एक पूर्व निर्धारित ‘मेगा मॉक ड्रिल’ थी, जिसे दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) द्वारा ‘सुरक्षा चक्र अभ्यास’ के तहत आयोजित किया गया था।
अभ्यास का उद्देश्य
इस मेगा मॉक ड्रिल का मकसद भूकंप और औद्योगिक-रासायनिक आपदाओं जैसी आपात स्थितियों में तत्काल और समन्वित प्रतिक्रिया क्षमता का आकलन करना था। इसके साथ ही नागरिकों में जागरूकता बढ़ाना और विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल की व्यवहारिक समीक्षा भी इसका मुख्य उद्देश्य रहा।
एक साथ 18 जिलों में चला अभ्यास
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दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के 18 जिलों में इस मॉक ड्रिल का आयोजन हुआ।
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दिल्ली-एनसीआर के 55 से अधिक स्थानों पर सुबह एक ही समय पर सायरन बजाए गए और अभ्यास शुरू किया गया।
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यह पहला मौका था जब तीन राज्यों की आपदा प्रबंधन एजेंसियां एक साथ इस तरह के अभ्यास में शामिल हुईं।
दरियागंज में सीन जैसे असली आपदा
दिल्ली के दरियागंज स्थित गोलचा सिनेमा परिसर में एक सीन ऐसा रचा गया, जैसे कोई भूकंप आया हो। रेस्क्यू टीमों ने ‘मलबे’ से घायलों को निकाला, उन्हें प्राथमिक उपचार दिया और फिर अस्पताल पहुंचाया। रस्सियों व सीढ़ियों से ऊपरी मंजिलों पर फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
गुरुग्राम में भी दिखी तैयारी
हरियाणा के गुरुग्राम में ताऊ देवीलाल स्टेडियम, सेक्टर 31 के पॉल क्लीनिक और बीके अस्पताल में भी इसी तरह के मॉक अभ्यास हुए। यहां भी इमारतों से डमी घायलों को सुरक्षित निकाला गया और त्वरित चिकित्सा सहायता दी गई।

क्यों ज़रूरी हैं ऐसी मॉक ड्रिल?
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दिल्ली और NCR भूकंप और औद्योगिक खतरों के लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र हैं।
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बीते महीनों में हल्के भूकंप के झटके आने से खतरे की गंभीरता को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं।
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अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के अभ्यास से न सिर्फ एजेंसियों की तैयारियों का मूल्यांकन होता है, बल्कि लोगों में भी जागरूकता आती है।
कौन-कौन रहा शामिल
इस अभ्यास में NDRF, SDRF, दिल्ली पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, NCC, स्थानीय प्रशासन, NGO, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, स्कूल-कॉलेज और व्यापारी संगठन शामिल हुए। मॉक ड्रिल में आपदा के वक्त सही सूचना के आदान-प्रदान, त्वरित निर्णय और तकनीकी समन्वय की व्यवहारिक समझ विकसित करने पर ज़ोर दिया गया।
निष्कर्ष
यह मॉक ड्रिल सिर्फ एक अभ्यास नहीं थी, बल्कि एक समन्वित प्रयास था जिसमें प्रशासन, एजेंसियों और आम लोगों ने मिलकर दिखाया कि अगर कोई आपदा आती है, तो हम कितनी जल्दी और प्रभावी तरीके से प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार हैं। अधिकारियों ने कहा कि भविष्य में भी इस तरह के अभ्यास नियमित रूप से किए जाएंगे।