


बीकानेर के हाइवे बनते मौत का रास्ता, फोरलेन की मांग फिर हुई तेज
बीकानेर से निकलने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग (हाइवे) अब लोगों के लिए सफर के बजाय खतरे का रास्ता बनते जा रहे हैं। इन सड़कों पर हर दिन हो रहे हादसे न केवल डरावने आंकड़ों में बदल रहे हैं, बल्कि आमजन के जीवन के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं।
केंद्र सरकार का ध्यान नहीं
हालांकि सरकारें सुरक्षित और सुगम सफर का दावा करती हैं, लेकिन बीकानेर से जुड़े हाइवे—खासकर बीकानेर-जयपुर और बीकानेर-जोधपुर मार्ग—अब तक बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। ट्रैफिक तेजी से बढ़ा है, पर सड़कों का विस्तार नहीं हुआ। बार-बार मांग उठने के बावजूद सरकारों ने इन पर ध्यान नहीं दिया है।
हादसों के पीछे मुख्य वजह
इन मार्गों पर अधिकांश हादसे ओवरटेक के दौरान आमने-सामने की टक्कर के कारण हो रहे हैं। इसका सीधा कारण है कि सड़कों के बीच डिवाइडर का न होना। बिना डिवाइडर के सड़कें हादसों को न्योता दे रही हैं।
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पुलिस और एनएचएआई कर रहे अस्थायी समाधान
एनएचआई और स्थानीय पुलिस प्रशासन इन हादसों को रोकने के लिए अस्थायी इंतजामों में जुटे हैं, लेकिन स्थायी समाधान के लिए फोरलेन और डिवाइडर जरूरी हैं। हल्दीराम प्याऊ के पास बीकानेर-जयपुर मार्ग पर अब तक डिवाइडर नहीं है।

बीकानेर-जोधपुर हाइवे की भी यही स्थिति
बीकानेर-जोधपुर हाइवे पर छोटे और भारी वाहनों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन यहां भी न तो डिवाइडर हैं और न ही चौड़ी सड़कें, जिससे हर दिन हादसों की खबरें आती हैं।
बीकानेर-जैसलमेर हाइवे बना उदाहरण
जब बीकानेर-जैसलमेर मार्ग को फोरलेन बनाया गया, तो उसका असर साफ नजर आया। पहले जहां रोज हादसे होते थे, अब वहां ग्राफ गिरा है। सफर भी तेज, आसान और सुरक्षित हो गया है। पहले जहां कोलायत पहुंचने में डेढ़ घंटा लगता था, अब महज 40 मिनट लगते हैं।
निष्कर्ष
बीकानेर से जुड़े हाइवे सड़कों की वर्तमान स्थिति यह बताती है कि बिना डिवाइडर और फोरलेन के ये मार्ग रोज़ाना जानलेवा साबित हो रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह इन पर त्वरित कार्रवाई करते हुए फोरलेन और डिवाइडर निर्माण को प्राथमिकता दे, ताकि दुर्घटनाओं में कमी आ सके और लोगों को सुरक्षित सफर मिल सके।