


UPI में लगातार हो रही दिक्कतों के बाद अब सिस्टम को अपग्रेड किया गया है। 1 अगस्त 2025 से कुछ नए नियम लागू होंगे, जिनका मकसद ट्रांजैक्शन फेल होने की समस्या को कम करना और सिस्टम को ज्यादा मजबूत बनाना है।
पिछले कुछ महीनों में दो बार – 26 मार्च और 12 अप्रैल को – बड़ी संख्या में लोगों के UPI ट्रांजैक्शन फेल हुए थे। इसकी वजह से करोड़ों लोगों को परेशानी हुई और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) को सिस्टम की तकनीकी जांच करनी पड़ी। अब इस जांच के बाद कुछ बड़े बदलाव किए जा रहे हैं।
क्या बदलाव होंगे और ये क्यों जरूरी हैं?
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बैलेंस चेक करने की सीमा तय की गई है:
अब आप दिन में सिर्फ 50 बार ही अपने बैंक अकाउंट का बैलेंस UPI के जरिए चेक कर सकेंगे। पहले इस पर कोई सीमा नहीं थी।- Advertisement -
क्यों जरूरी था?
बार-बार बैलेंस चेक करने से बैंकों के सर्वर पर बहुत ज्यादा लोड बढ़ जाता था, जिससे अन्य ट्रांजैक्शन फेल हो सकते थे। -
AutoPay ट्रांजैक्शन तय समय पर होंगे:
जैसे कि EMI, सब्सक्रिप्शन फीस या बिजली-पानी के बिल जैसी ऑटो-पेमेंट अब पूरे दिन कभी भी नहीं कटेंगी। इन्हें अब दिन के कुछ खास समय में ही प्रोसेस किया जाएगा।फायदा:
इससे सर्वर पर एक साथ ट्रैफिक नहीं बढ़ेगा और पेमेंट आसानी से हो सकेगा।
ये बदलाव क्यों जरूरी थे?
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डिजिटल ट्रांजैक्शन लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे सिस्टम पर दबाव बढ़ गया था।
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रियल टाइम में ट्रैफिक को संभालने का कोई तय तरीका नहीं था।
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ऑटो पेमेंट किसी भी समय ट्रिगर हो रहे थे, जिससे सिस्टम कभी-कभी जवाब देना बंद कर देता था।
UPI की इंटरनेशनल पहचान भी बढ़ी है
IMF की एक रिपोर्ट के अनुसार, UPI अब दुनिया की सबसे बड़ी रियल टाइम पेमेंट टेक्नोलॉजी बन चुका है। इसी वजह से NPCI इसे और ज्यादा मजबूत और भरोसेमंद बनाना चाहता है।
निष्कर्ष:
1 अगस्त 2025 से लागू होने वाले ये बदलाव UPI को ज्यादा तेज, सुरक्षित और भरोसेमंद बनाएंगे। इनका मकसद है कि करोड़ों यूजर्स को बेहतर डिजिटल पेमेंट अनुभव मिल सके।