

जयपुर। राजस्थान सरकार ने ग्राम पंचायतों की चारागाह और जोहड़ पायतान जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर सख्त रुख अपनाया है। पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने मंगलवार को प्रदेश की सभी जिला परिषदों, सरपंचों और जिला प्रमुखों को निर्देश दिए कि अभियान चलाकर इन जमीनों से अवैध कब्जे हटाएं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।
मंत्री ने कहा कि चारागाह विकास को प्राथमिकता दी जाए। इसके लिए हर गांव में पांच सदस्यीय चारागाह समिति बनाई जाए, जिसकी अध्यक्षता संबंधित वार्ड पंच करें और शेष चार सदस्य ग्राम सभा चुने। यह समिति चारागाह भूमि के विकास, जल व भूमि संरक्षण और अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी उठाएगी।
सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार, हर पंचायत को चाहिए कि वह चारागाह भूमि में उपयुक्त घास, पौधे और झाड़ियाँ विकसित करें। अतिक्रमण अगर इस विकास में बाधक हो, तो उसे रोकने के लिए सभी कानूनी व प्रशासनिक उपाय किए जाएं।
जिला स्तरीय समिति का गठन
चारागाह भूमि विकास की निगरानी के लिए राजस्थान कार्य विधि नियम 55 के तहत जिला प्रमुख की अध्यक्षता में ‘बंजर भूमि एवं चारागाह विकास समिति’ बनाई गई है। इसके प्रशासनिक विभाग ग्रामीण विकास विभाग को बनाया गया है और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को नोडल अधिकारी नामित किया गया है।
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बढ़ती शिकायतें, गायों के लिए संकट
सरकार को लगातार यह शिकायतें मिल रही हैं कि कई पंचायतों में चारागाह और जोहड़ पायतान की जमीनों पर स्थानीय लोगों ने अवैध कब्जा कर मकान बना लिए हैं। कुछ ने तो कब्जाई हुई जमीनों को सस्ते दामों में बेच भी दिया है। नतीजा यह है कि गायों और अन्य पशुओं के लिए चारे की जगह ही नहीं बची।
अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी व्यक्ति या समूह चारागाह भूमि पर अतिक्रमण करता पाया जाएगा, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ अतिक्रमण तुरंत हटाया जाएगा।
राज्य सरकार की मंशा है कि गांवों में पारंपरिक चरागाह संस्कृति को पुनर्जीवित किया जाए और पशुपालन को सुरक्षित भविष्य दिया जा सके।