

बीकानेर।
सूचना के अधिकार (RTI) में प्रमाणित प्रतियां समय पर उपलब्ध नहीं करवाने के मामले में नोखा तहसीलदार चंद्रशेखर टाक को राज्य उपभोक्ता आयोग सर्किट बेंच बीकानेर से बड़ी राहत मिली है।
मामले की शुरुआत फूलाराम बिश्नोई द्वारा RTI आवेदन से हुई थी, जिसमें उसने कुछ दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपियां मांगी थीं। लेकिन सूचना शुल्क 28 रुपए जमा नहीं करवाने के कारण प्रारंभ में सूचना नहीं दी जा सकी। इसके बाद फूलाराम ने जिला कलेक्टर के समक्ष प्रथम अपील की, जहां से आदेश मिला कि शुल्क जमा कर सूचना प्रदान की जाए।
फूलाराम ने शुल्क जमा कर 14 पृष्ठों की सूचना प्राप्त की और दस्तावेज प्राप्त करने की रसीद पर हस्ताक्षर भी कर दिए। लेकिन अगले ही दिन उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर कर दिया। आयोग ने तहसीलदार को नोटिस जारी किया, परंतु निर्धारित तिथि पर तहसीलदार राजकीय दायित्वों के कारण उपस्थित नहीं हो सके। वे ऑपरेशन सिंदूर, प्रधानमंत्री और उप मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान एरिया मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात थे।
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तहसीलदार की अनुपस्थिति में आयोग ने एकतरफा निर्णय सुनाते हुए परिवादी को मानसिक क्षति और परिवाद खर्च के रूप में 15,000 रुपये देने का आदेश पारित कर दिया।
इस निर्णय की जानकारी मिलने के बाद तहसीलदार ने एडवोकेट अनिल सोनी के माध्यम से राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की। सुनवाई के दौरान आयोग के अध्यक्ष अरुण कुमार अग्रवाल और सदस्य ए.के. सारस्वत ने एकतरफा आदेश पर अस्थायी रोक लगाते हुए परिवादी को 20 जनवरी 2026 को उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
मामले में तहसीलदार की ओर से प्रभावी पैरवी एडवोकेट अनिल सोनी द्वारा की गई।