

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा और अब उपराष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर शाम अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र भेजकर स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए तुरंत प्रभाव से अपने पद से हटने की घोषणा की। अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पद संभालने वाले धनखड़ ने जुलाई 2025 में कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पद छोड़ दिया, जिससे अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
उपराष्ट्रपति पद के लिए कौन हो सकता है उम्मीदवार?
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कम से कम 20 सांसदों को प्रस्तावक और 20 सांसदों को समर्थक बनाना जरूरी होता है।
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15,000 रुपये की जमानत राशि नामांकन के साथ जमा करनी होती है।
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निर्वाचन अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच करता है, और योग्य उम्मीदवारों के नाम बैलेट में शामिल किए जाते हैं।
कौन लड़ सकता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?
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भारतीय नागरिक हो।
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35 वर्ष या उससे अधिक आयु हो।
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राज्यसभा के लिए चुने जाने योग्य हो।
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किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश से सांसदीय निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता हो।
जो व्यक्ति केंद्र या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर हो, वह चुनाव नहीं लड़ सकता।
अगर कोई उम्मीदवार संसद का सदस्य है, तो चुनाव जीतने पर उसे सदस्यता छोड़नी होगी।
उपराष्ट्रपति चुनाव में कौन वोट डालता है?
उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल संसद के सदस्य ही मतदान करते हैं:
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लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य
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राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य
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राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य
कुल मिलाकर 788 सांसद वोट डालते हैं।
मतदान प्रक्रिया कैसी होती है?
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संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से होता है।
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सिंगल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली के तहत वोटिंग होती है।
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मतदाता को वरीयता के क्रम में उम्मीदवारों को नंबर देने होते हैं – जैसे पहली पसंद को ‘1’, दूसरी को ‘2’ आदि।
यह प्रक्रिया गुप्त मतदान के तहत होती है और निर्वाचन आयोग द्वारा दिया गया विशेष पेन ही उपयोग में लिया जाता है।
मतगणना कैसे होती है?
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पहले उम्मीदवारों को मिले प्रथम वरीयता वाले वोटों की गिनती होती है।
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कुल वैध वोटों का आधा + 1 वोट पाने वाला उम्मीदवार विजयी घोषित होता है।
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यदि कोई भी उम्मीदवार यह संख्या पूरी नहीं कर पाता, तो सबसे कम वोट पाने वाले को बाहर कर दिया जाता है और उसके वोट दूसरी वरीयता के आधार पर अन्य उम्मीदवारों में बांटे जाते हैं।
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यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार जीत की आवश्यक संख्या तक नहीं पहुंच जाता।
उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारियां क्या होती हैं?
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संवैधानिक रूप से उपराष्ट्रपति की भूमिका सीमित होती है।
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वह राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करता है।
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यदि राष्ट्रपति का पद किसी कारणवश खाली हो जाए, तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका निभाता है।
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प्रोटोकॉल के हिसाब से राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति भारत का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है।
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में क्या फर्क है?
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राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों के अलावा सभी राज्यों के विधायक भी मतदान करते हैं।
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उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डालते हैं।
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मनोनित सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल सकते, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में डाल सकते हैं।