

अंतरंग तस्वीरें ऑनलाइन: हाईकोर्ट ने मांगा गुप्त शिकायत का विकल्प
मद्रास हाईकोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से स्पष्ट रूप से पूछा है कि यदि किसी लड़की की निजी या अंतरंग तस्वीरें उसकी अनुमति के बिना ऑनलाइन पोस्ट कर दी जाती हैं, तो वह बिना खुद को उजागर किए कैसे न्याय की मांग कर सकती है।
जस्टिस आनंद वेंकटेश ने कहा कि भारत के सामाजिक ढांचे को देखते हुए यह अपेक्षा करना गलत होगा कि सभी लड़कियां पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज कराएं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में पीड़िता को चुपचाप पीड़ित नहीं छोड़ा जा सकता।
युवा महिला वकील की याचिका पर सुनवाई
यह टिप्पणी एक महिला वकील की याचिका पर सुनवाई के दौरान आई, जिसमें उसने मांग की थी कि अदालत उसके पूर्व साथी द्वारा ऑनलाइन डाली गई उसकी निजी तस्वीरों और वीडियो को हटाने का निर्देश दे।
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इससे पहले अदालत ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को 48 घंटों के भीतर ऐसी सभी आपत्तिजनक सामग्री हटाने के आदेश दिए थे। मंत्रालय के स्थायी वकील ने अदालत को बताया कि जब तक पूरी वेबसाइट को ब्लॉक नहीं किया जाता, तब तक तस्वीरों और वीडियो के प्रसार को पूरी तरह रोकना संभव नहीं है।
वेबसाइट ब्लॉक करने के निर्देश
अदालत ने इस पर गंभीरता दिखाते हुए मंत्रालय को संबंधित वेबसाइट को पूरी तरह ब्लॉक करने का निर्देश दिया। साथ ही, अदालत ने यह भी कहा कि यदि ऐसी तस्वीरें या वीडियो अन्य वेबसाइटों पर दोबारा दिखाई दें, तो उन्हें भी तत्परता से ब्लॉक किया जाए।

सरकार ने उठाए कदम, लेकिन तस्वीरें अब भी वायरल
बाद की सुनवाई में मंत्रालय के वरिष्ठ पैनल वकील ने बताया कि सभी वेबसाइटों को ब्लॉक करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। गृह मंत्रालय द्वारा तैयार निर्देशों की प्रति भी अदालत को सौंपी गई, जिसमें बताया गया था कि ऐसे मामलों में क्या कदम उठाए जाते हैं।
हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने जानकारी दी कि अब भी 39 अलग-अलग वेबसाइटों पर वही तस्वीरें और वीडियो उपलब्ध हैं, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह एक सतत प्रक्रिया है, और केवल एक बार कार्रवाई पर्याप्त नहीं है।
निरंतर निगरानी और संवेदनशील जांच की ज़रूरत
अदालत ने इस पूरे मसले की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि समाज के अनेक पीड़ितों से जुड़ा विषय है। इसलिए सरकार को ऐसी परिस्थिति में गुप्त शिकायत दर्ज करने और तुरंत सहायता उपलब्ध कराने के उपाय स्पष्ट करने चाहिए।
पीड़िता को मानसिक पीड़ा, जांच प्रणाली पर सवाल
कोर्ट ने राज्य पुलिस की जांच प्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए। विशेष रूप से उस स्थिति पर आपत्ति जताई गई जब पीड़िता को सात पुरुष पुलिसकर्मियों के साथ बैठाकर वीडियो दिखाया गया। अदालत ने इसे पीड़िता के लिए दोहरी मानसिक पीड़ा करार दिया और कहा कि ऐसे मामलों में जांच महिला साइबर विशेषज्ञ अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए, ताकि पीड़ित को संवेदनशील और सुरक्षित माहौल मिल सके।