

राजस्थान में फर्जी मार्कशीट का बड़ा घोटाला, एक लाख छात्रों की अंकतालिकाएं रोकी गईं
राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल (RSOS) में पिछले पांच वर्षों से अंकतालिकाओं में फर्जीवाड़े का बड़ा मामला सामने आया है। ओपन स्कूल की मार्कशीटों में हेरफेर कर गलत तरीके से अन्य नामों पर जारी की जा रही थीं। मामले के उजागर होने के बाद ओपन स्कूल ने सत्र 2024-25 के कक्षा 10वीं और 12वीं के लगभग एक लाख छात्रों की अंकतालिकाओं की प्रिंटिंग रोक दी है।
संविदाकर्मी को था संशोधन का अधिकार
जानकारी के अनुसार, वर्ष 2020 में शिक्षा विभाग द्वारा सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीओआईटी) को मेल भेजकर एक संविदा कर्मचारी को स्कूल के डेटा में संशोधन की अनुमति दिलवाई गई थी। इसके बाद से अंकतालिकाओं में नाम, माता-पिता का नाम और अन्य जानकारियों को बदलकर मार्कशीट दूसरे लोगों के नाम पर जारी की जा रही थीं।
मार्कशीट में अंक वही, नाम बदल जाते
जांच में सामने आया है कि असली छात्र के अंकों वाली मार्कशीट में केवल नाम और अभिभावकों की जानकारी बदल दी जाती थी। इस प्रकार एक ही अंकतालिका से कई फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कर दिए गए। हाल ही में उजागर हुए एक मामले में संविदाकर्मी राकेश कुमार शर्मा ने दीपक नामक छात्र की असली मार्कशीट से छेड़छाड़ कर, उसे शालिनी नाम से जारी कर दिया। इस प्रक्रिया में कंप्यूटर सिस्टम से दीपक की मूल मार्कशीट विलोपित हो गई।
पुलिस और विभागीय जांच अधूरी
मार्कशीट घोटाले के खुलासे के बाद राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल ने बजाज नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। सहायक निदेशक उमेश कुमार शर्मा की रिपोर्ट के अनुसार, यह कार्य राकेश कुमार शर्मा नामक संविदा कर्मचारी द्वारा किया गया था। ओपन स्कूल ने डीओआईटी से पिछले सात वर्षों का डेटा मांगा है, लेकिन अब तक उसे पूरा रिकॉर्ड नहीं मिला है।
- Advertisement -

शिक्षा विभाग ने नहीं बनाई जांच समिति
घटना को दो सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन शिक्षा विभाग ने अब तक मामले की जांच के लिए कोई समिति गठित नहीं की है। इससे साफ है कि विभागीय स्तर पर भी गंभीरता की कमी है। वहीं डुप्लीकेट मार्कशीट जारी करने की प्रक्रिया भी रोक दी गई है।
छात्रों में बढ़ी चिंता, प्रमाण पत्र अटके
मार्कशीट रोके जाने से हजारों छात्रों की आगे की पढ़ाई और नौकरी से जुड़ी प्रक्रियाएं प्रभावित हो रही हैं। शिक्षा विभाग और ओपन स्कूल के बीच तालमेल की कमी से छात्र असमंजस की स्थिति में हैं। जब तक जांच पूरी नहीं होती और रिकॉर्ड सत्यापित नहीं होता, तब तक छात्रों को अपनी अंकतालिकाएं नहीं मिल सकेंगी।