


पुरी (ओडिशा)। विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा की तैयारियां पुरी में पूरी श्रद्धा, उत्साह और पारंपरिक विधि के साथ जोरों पर हैं। ऐतिहासिक रथ यात्रा 7 जुलाई 2025 को आयोजित की जाएगी, और इसके लिए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा के भव्य रथों का निर्माण पुरी के ग्रैंड रोड पर किया जा रहा है।
दो दिन से तेज़ी से चल रहा है रथ निर्माण कार्य
रथ निर्माण कार्य ने इन दिनों गति पकड़ ली है। सैकड़ों कुशल कारीगर दिन-रात रथों की नक्काशी और ढांचे के निर्माण में लगे हुए हैं। हर साल की तरह इस बार भी अक्षय तृतीया से रथ निर्माण कार्य की शुरुआत हुई थी, और यह कार्य रथ यात्रा से ठीक पहले तक पूर्ण कर लिया जाता है।
पारंपरिक शिल्पकला की मिसाल
तीनों रथ — नंदीघोष (भगवान जगन्नाथ का), तलध्वज (भगवान बलभद्र का) और दर्पदलन (देवी सुभद्रा का) — पारंपरिक वास्तुशिल्प के अनुसार विशेष लकड़ियों से बनाए जा रहे हैं। हर रथ की ऊंचाई, चक्कों की संख्या और रंग भी अलग होते हैं, जो इन देवी-देवताओं के विशिष्ट रूपों और प्रतीकों से मेल खाते हैं।
श्रद्धा और परंपरा का संगम
पुरी की रथ यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। लाखों श्रद्धालु हर वर्ष इस महायात्रा में भाग लेने पुरी पहुंचते हैं। रथ यात्रा के दिन तीनों रथों को भक्तजन खींचते हैं और भगवान को उनकी मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) ले जाया जाता है।
- Advertisement -

सुरक्षा और व्यवस्था की तैयारी
पुरी प्रशासन, ओडिशा सरकार और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की ओर से यात्रा के सफल आयोजन के लिए व्यापक सुरक्षा और व्यवस्था की योजना तैयार की जा रही है। चिकित्सा सुविधा, भीड़ नियंत्रण, पेयजल आपूर्ति और साफ-सफाई से लेकर आपातकालीन सेवाएं तक हर स्तर पर तैयारी की जा रही है।
रथ यात्रा न केवल धार्मिक भावनाओं का पर्व है, बल्कि सामूहिक सहभागिता और सेवा भाव का भी अनुपम उदाहरण है। रथ निर्माण से लेकर उसकी सजावट और अंततः उसे खींचने तक हर चरण श्रद्धा और समर्पण से परिपूर्ण होता है।