


अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती अधर में, चयनित शिक्षक अनिश्चितता में
राजस्थान के अंग्रेजी माध्यम सरकारी स्कूलों, खासकर महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती को लेकर गंभीर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। विभागीय परीक्षा के माध्यम से चयनित 30 हजार से अधिक शिक्षक अब भी अपने पदस्थापन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। एक पूरा शिक्षा सत्र गुजरने के बावजूद इन शिक्षकों की तैनाती नहीं हो सकी है, जिससे न केवल उनकी आशाएं धूमिल हो रही हैं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की स्थिरता पर भी सवाल उठने लगे हैं।
शिक्षा विभाग ने इन शिक्षकों से पदस्थापन के लिए जिलों के विकल्प तक मांग लिए हैं, लेकिन तैनाती की कोई निश्चित तारीख अब तक तय नहीं की गई। नई सरकार के गठन के बाद इन स्कूलों को लेकर नीति स्पष्ट नहीं हो सकी है। ऐसे में यह चिंता लगातार गहराती जा रही है कि सरकार कहीं पूरी चयन प्रक्रिया को रद्द कर फिर से परीक्षा आयोजित न कर दे।
सरकारी चुप्पी से चयनित शिक्षक असमंजस में
चयनित शिक्षक स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। नया शैक्षणिक सत्र जुलाई में शुरू होने जा रहा है, ऐसे में यह तय नहीं है कि वे समय पर स्कूलों में कार्यभार संभाल पाएंगे या नहीं। विभाग की चुप्पी ने शिक्षकों के धैर्य की परीक्षा लेनी शुरू कर दी है।
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बच्चों की पढ़ाई भी हो रही प्रभावित
यह देरी न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई को भी प्रभावित कर रही है। अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को शुरू करने के पीछे उद्देश्य यह था कि सरकारी स्कूलों के छात्र भी निजी स्कूलों के बराबर शिक्षा प्राप्त कर सकें। लेकिन बिना शिक्षकों के यह व्यवस्था अधूरी और कमजोर साबित हो रही है।
क्या शिक्षा में नवाचार अधर में ही रहेगा?
यदि शिक्षा में शुरू किए गए नवाचार स्पष्ट दिशा और योजना के अभाव में ही लटकते रहेंगे, तो छात्रों के भविष्य पर सवाल उठना स्वाभाविक है। यह समझना जरूरी है कि चयन प्रक्रिया केवल प्रशासनिक कदम नहीं होती, बल्कि यह बच्चों के भविष्य की नींव तय करती है।
सरकार को तुरंत निर्णय लेना चाहिए
अब वक्त आ गया है कि सरकार स्पष्ट कार्ययोजना सामने रखे और शिक्षकों की त्वरित तैनाती सुनिश्चित करे। शिक्षा जैसी संवेदनशील व्यवस्था में देरी की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह लाखों बच्चों के भविष्य से जुड़ा प्रश्न है।