


आरबीआई की राहत क्यों नहीं पहुंचती आम उपभोक्ताओं तक? बैंकिंग सिस्टम पर उठे सवाल
जयपुर। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है। इसका उद्देश्य बाजार में तरलता बढ़ाना और लोन पर लगने वाली ब्याज दरों को कम करके उपभोक्ताओं का बोझ घटाना है। हालांकि, बैंकों की ओर से इसका पूरा लाभ ग्राहकों को नहीं मिल रहा है।
राहत के नाम पर महज दिखावा
बैंक आरएलएलआर (Repo Linked Lending Rate) में महज 0.15% से 0.25% की कटौती कर रहे हैं, जबकि RBI ने रेपो रेट में 0.50% की कटौती की है। ऐसे में उपभोक्ताओं की ईएमआई में मामूली बदलाव होता है। इसके उलट, जब रेपो रेट में वृद्धि होती है तो बैंक तुरंत फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज घटा देते हैं।
पिछली कटौती का असर भी अधूरा
आरबीआई ने फरवरी और अप्रैल में भी रेपो रेट में क्रमश: 0.25% की कटौती की थी, लेकिन इसका फायदा भी अधिकतर ग्राहकों को अब तक नहीं मिल पाया है। बैंक अभी अपनी वित्तीय स्थिति की समीक्षा में लगे हैं, खासतौर पर बढ़ते एनपीए (गैर-निष्पादित संपत्ति) की भरपाई के लिए।
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बैंकिंग विशेषज्ञ मुकेश जैन के अनुसार, बैंकों का फोकस लाभ उपभोक्ताओं को देने के बजाय अपने नुकसान की भरपाई पर ज्यादा रहता है, जिससे आरबीआई की राहत योजनाएं असरहीन हो जाती हैं।
रियल एस्टेट सेक्टर को झटका
रियल एस्टेट विशेषज्ञ रितेश अग्रवाल ने कहा कि अगर बैंक होम लोन पर ब्याज दर में पर्याप्त कटौती करते तो इस सेक्टर को बूस्ट मिलता। इससे करीब 300 अन्य क्षेत्रों में रोजगार और कारोबार बढ़ सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

ग्राहकों की शिकायतें बनी हुई हैं
होमलोन धारक मनीष गुप्ता ने बताया कि उन्होंने अपने बैंक से संपर्क किया, लेकिन स्पष्ट जवाब नहीं मिला। बैंक पुराने लोन की बेंचमार्किंग प्रणाली और ब्याज दर संशोधन में समय लगने का हवाला देते हैं, जबकि आरबीआई की गाइडलाइन कहती है कि फ्लोटिंग रेट लोन को समय-समय पर रीसेट करना अनिवार्य है।
ईएमआई में हो सकता है इतना फर्क
लोन राशि | अवधि | ब्याज दर | ईएमआई | कुल ब्याज | कुल भुगतान |
---|---|---|---|---|---|
₹20 लाख | 20 साल | 8% | ₹16,729 | ₹20.14 लाख | ₹40.14 लाख |
₹20 लाख | 20 साल | 7.5% | ₹16,112 | ₹18.66 लाख | ₹38.55 लाख |
फायदा: ब्याज में ₹1.48 लाख की बचत और ईएमआई में ₹617 की कटौती हो सकती है।
दो जरूरी सवाल
1. क्या पुराने और नए लोन पर समान फायदा मिलेगा?
फ्लोटिंग रेट लोन धारकों को फायदा मिल सकता है, क्योंकि बैंक को रेपो रेट में कटौती का लाभ देना अनिवार्य है। लेकिन नए लोन लेने वालों के लिए बैंक स्प्रेड बढ़ाकर फायदा कम कर सकते हैं।
2. क्या फिक्स्ड रेट लोन को फ्लोटिंग में बदला जा सकता है?
हाँ, लेकिन इसके लिए बैंक से अनुरोध करना होगा और कुछ शुल्क भी देना पड़ सकता है। यदि लोन की अवधि लंबी बची है तो यह एक फायदेमंद विकल्प हो सकता है।