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राजस्थान

राजस्थान में सस्ती बिजली के रास्ते खुले, जमीन की बाध्यता हुई खत्म

editor
editor Published June 9, 2025
Last updated: 2025/06/09 at 11:30 AM
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राजस्थान में बनेगी अब और सस्ती बिजली, सरकार ने जमीन की बाध्यता हटाई

Contents
कम जमीन में ज्यादा बिजली संभवबिजली उत्पादन का वर्तमान परिदृश्यसरकार का उद्देश्य

जयपुर। राजस्थान सरकार ने राज्य में सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब अक्षय ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए पहले की तुलना में कम जमीन की आवश्यकता होगी, जिससे बिजली उत्पादन और अधिक किफायती हो सकेगा।

अब तक एक मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 3 हेक्टेयर जमीन जरूरी होती थी, लेकिन भजनलाल शर्मा सरकार ने यह बाध्यता समाप्त कर दी है। नई व्यवस्था के तहत अब केवल 2 हेक्टेयर जमीन में ही 1 मेगावाट का सोलर या विंड प्लांट लगाया जा सकेगा।

कम जमीन में ज्यादा बिजली संभव

यह बदलाव तकनीकी विकास की वजह से संभव हो पाया है। पहले 150 वॉट पीक (Wp) तक के सोलर मॉड्यूल इस्तेमाल होते थे, जिससे पैनल ज्यादा लगाने के लिए ज्यादा जमीन लगती थी। अब 550 वॉट पीक क्षमता वाले मॉड्यूल बाजार में आ चुके हैं। इससे कम जमीन में ज्यादा उत्पादन हो रहा है।

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एक किलोवाट = 1,000 वॉट पीक होता है। इस नई तकनीक की बदौलत सोलर और विंड प्लांट की लागत भी घटेगी और इससे उत्पादित बिजली की कीमतों में और गिरावट आएगी।

बिजली उत्पादन का वर्तमान परिदृश्य

  • वर्तमान में एक मेगावाट के प्लांट से सालाना करीब 17 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है।

  • सौर ऊर्जा से बिजली की दर 2.24 रुपए प्रति यूनिट तक आ चुकी है।

  • पवन ऊर्जा की दर 2.44 रुपए प्रति यूनिट है।

  • वहीं थर्मल प्लांट से बिजली खरीद की दर 3 से 5 रुपए प्रति यूनिट है।

सरकार का उद्देश्य

सरकार का मकसद है कि प्रदेश में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश बढ़े, जमीन का बेहतर उपयोग हो और उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल सके। इससे प्रदेश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता में भी इजाफा होगा।


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editor June 9, 2025
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