


जयपुर। विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर राजस्थान को एक बड़ी उपलब्धि मिली है। उदयपुर जिले के मेनार गांव और जोधपुर के फलोदी तहसील स्थित खींचन गांव को रामसर साइट का दर्जा मिला है। इस घोषणा के साथ ही राजस्थान में रामसर साइट्स की संख्या अब चार हो गई है।
अब तक राजस्थान में केवल भरतपुर का केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान (1981) और जयपुर की सांभर झील (1990) ही रामसर साइट्स के रूप में सूचीबद्ध थे। अब मेनार और खींचन के शामिल होने से राज्य को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरणीय पहचान में एक नई उपलब्धि मिली है।
यह घोषणा केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने की। उन्होंने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि भारत में रामसर साइट्स की कुल संख्या अब 91 हो गई है।
मेनार गांव, जिसे अक्सर “बर्ड विलेज” कहा जाता है, पक्षियों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है। यहां स्थानीय समुदाय ने दशकों से जलाशयों और आर्द्रभूमियों को सुरक्षित रखा है। वहीं खींचन गांव, खासकर सर्दियों में डेमोइसेल क्रेन्स (कुरजां) की बड़ी संख्या में आमद के कारण जाना जाता है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस उपलब्धि की सराहना की और इसे भारत की पर्यावरण संरक्षण दिशा में प्रगति बताया। उन्होंने कहा कि यह जनभागीदारी से प्राप्त एक प्रेरणादायक सफलता है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी इसे राज्य के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताया और प्रधानमंत्री व केंद्रीय मंत्री के नेतृत्व की सराहना की।
राजस्थान की चार रामसर साइट्स:
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केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर (1981)
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सांभर झील, जयपुर (1990)
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मेनार गांव, उदयपुर (2025)
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खींचन गांव, जोधपुर (2025)
रामसर साइट कैसे बनती है?
रामसर साइट का दर्जा किसी भी आर्द्रभूमि को तभी मिलता है जब:
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हर वर्ष कम से कम 20,000 पक्षी वहां आते हों
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किसी एक प्रजाति की विश्व की 1% आबादी वहां पाई जाए
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राज्य सरकार से अनुमोदन और केंद्र सरकार से प्रस्ताव पास होकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) को भेजा जाता है
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यूएन द्वारा तकनीकी और पारिस्थितिक मापदंडों की जांच के बाद मान्यता दी जाती है
मेनार और खींचन दोनों ने ये मानक पूरे किए हैं।
रामसर साइट बनने के फायदे:
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इको-टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
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स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर
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जल स्रोतों जैसे तालाबों और झीलों का बेहतर संरक्षण और सफाई
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अवैध निर्माणों पर रोक
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पर्यटन के लिए होमस्टे व अन्य सुविधाओं का विकास
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विदेशी व घरेलू पर्यटकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ
रामसर साइट क्या है?
रामसर साइट्स वे आर्द्रभूमियां (Wetlands) होती हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय महत्व का दर्जा प्राप्त होता है। यह दर्जा वर्ष 1971 में ईरान के रामसर शहर में हुए अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत दिया जाता है। इसका उद्देश्य जैव-विविधता, जल संरक्षण और स्थानीय समुदायों के पारिस्थितिक हितों को सुरक्षित रखना है।