

राजस्थान की ‘लाडो प्रोत्साहन योजना’ में अब 1.50 लाख की सहायता, जानिए पात्रता और प्रक्रिया
जयपुर, 3 जून 2025: राजस्थान सरकार ने बेटियों के जन्म और शिक्षा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से संचालित ‘लाडो प्रोत्साहन योजना’ में बड़ा बदलाव करते हुए सहायता राशि को 1 लाख से बढ़ाकर 1.50 लाख रुपए कर दिया है। यह घोषणा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा 12 मार्च 2025 को विधानसभा में बजट चर्चा के दौरान की गई थी। अब महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस संबंध में संशोधित दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।
योजना का उद्देश्य
इस योजना का लक्ष्य बालिकाओं के जन्म को प्रोत्साहन देना, शिक्षा में निरंतरता बनाए रखना, बाल विवाह को रोकना और बालिकाओं के संपूर्ण विकास को सुनिश्चित करना है। यह योजना 1 अगस्त 2024 से राज्यभर में लागू हो चुकी है।
कैसे मिलेगी राशि?
योजना के तहत कुल 1.50 लाख रुपए की सहायता सात किश्तों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से दी जाएगी। पहली छह किश्तें माता-पिता या अभिभावक के बैंक खाते में जाएंगी, जबकि अंतिम और सबसे बड़ी किश्त स्वयं बालिका के नाम पर होगी।
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किस्तों का विवरण इस प्रकार है:
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जन्म पर संस्थागत प्रसव होने पर ₹2,500
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एक वर्ष और पूर्ण टीकाकरण पर ₹2,500
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प्रथम कक्षा में प्रवेश पर ₹4,000
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छठी कक्षा में प्रवेश पर ₹5,000
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दसवीं कक्षा में प्रवेश पर ₹11,000
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बारहवीं कक्षा में प्रवेश पर ₹25,000
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स्नातक उत्तीर्ण और 21 वर्ष की आयु पर ₹1,00,000
पात्रता क्या है?
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बालिका का जन्म किसी सरकारी या JSY मान्यता प्राप्त निजी अस्पताल में होना अनिवार्य है।
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माता का मूल निवासी राजस्थान होना चाहिए।
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गर्भवती महिला का ANC पंजीकरण और बैंक खाता PCTS पोर्टल पर दर्ज होना जरूरी है।
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बालिका को जन्म के समय ही यूनिक PCTS ID दी जाएगी।
राजश्री योजना का समावेश
महिला अधिकारिता विभाग ने बताया कि पुरानी ‘राजश्री योजना’ को अब इस ‘लाडो प्रोत्साहन योजना’ में समाहित कर दिया गया है। राजश्री योजना की लंबित किश्तों का लाभ भी अब इसी नई योजना के तहत पात्र लाभार्थियों को मिलेगा।
निगरानी और क्रियान्वयन
इस योजना की प्रशासनिक जिम्मेदारी महिला अधिकारिता निदेशालय के पास है। इसकी त्रैमासिक समीक्षा जिला कलेक्टर द्वारा की जाएगी, जबकि निगरानी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ टास्क फोर्स करेगी।
यह योजना न सिर्फ बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है, बल्कि समाज में बेटियों को लेकर दृष्टिकोण में भी बदलाव लाने का प्रयास है।