


सर्जिकल स्ट्राइक पर फिर गरमाई बहस, रिटायर्ड मेजर जनरल का बड़ा दावा
नई दिल्ली। भारत द्वारा हाल ही में किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद एक बार फिर सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर सियासी और सैन्य चर्चाएं तेज हो गई हैं। जहां मोदी सरकार ने दावा किया है कि सर्जिकल स्ट्राइक का पहला उदाहरण उनके कार्यकाल में हुआ, वहीं कांग्रेस और कई पूर्व सैन्य अधिकारी इससे असहमति जता रहे हैं।
इसी बीच सेना से रिटायर्ड मेजर जनरल ए. जे. बी. जैनी ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि भारतीय सेना ने पहले भी पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की हैं, जिनमें से तीन उन्होंने स्वयं नेतृत्व करते हुए की थीं। उन्होंने कहा कि उस समय इस तरह के अभियानों को ‘जवाबी हमला’ कहा जाता था, और इन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाता था।
‘पहले नाम नहीं होता था, काम होता था’
न्यूज 24 से बातचीत में मेजर जनरल जैनी ने बताया, “पहले सर्जिकल स्ट्राइक शब्द का इस्तेमाल नहीं होता था और ना ही किसी तरह की सरकारी मंजूरी ली जाती थी। सेना अपने स्तर पर निर्णय लेकर कार्रवाई करती थी। यह सब बिना प्रचार के होता था।”
‘मैंने तीन बार सीमा पार कर की कार्रवाई’
मेजर जैनी ने कहा, “मैं खुद तीन सर्जिकल स्ट्राइक का हिस्सा रहा हूं। इनमें से एक 1971 में पुंछ सेक्टर में की गई थी, जिसमें हमारी टुकड़ी ने पाकिस्तान की सीमा में आठ किलोमीटर अंदर जाकर दुश्मन के ठिकानों को तबाह किया था।”
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‘घुसकर मारे और तीन को घसीट लाए’
एक अन्य घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार सीमा पर तैनात जवान की लापरवाही से उसकी मशीनगन दुश्मन के हाथ लग गई थी। “हमने तय किया कि ये बात बाहर नहीं जानी चाहिए, और फिर हमारी टीम ने रात के अंधेरे में सीमा पार कर पांच आतंकियों को मार गिराया और तीन को घसीटकर वापस ले आए।”

‘अब सिर्फ नाम बदला गया है’
मेजर जैनी का कहना है कि पहले सेना की कार्रवाईयों को प्रचारित नहीं किया जाता था। अब वही ऑपरेशन, जिन्हें पहले गुप्त और आंतरिक स्तर पर अंजाम दिया जाता था, उन्हें ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ नाम दिया गया है।
राजनीति से हटकर सैन्य निर्णय होते थे
उन्होंने कहा कि पहले सरकार का इस तरह के ऑपरेशन में सीधा हस्तक्षेप नहीं होता था। सेना जरूरत के हिसाब से निर्णय लेती थी और जवाब देती थी। अब हर कार्रवाई का राजनीतिकरण किया जा रहा है, जो सही नहीं है।
इस बयान के बाद एक बार फिर इस बहस ने जोर पकड़ लिया है कि क्या सर्जिकल स्ट्राइक वास्तव में मोदी सरकार की नई पहल है, या फिर भारतीय सेना लंबे समय से इस प्रकार की जवाबी कार्रवाइयों को अंजाम देती रही है, बिना किसी शोर-शराबे के।