


सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल चुनाव हिंसा मामले में चार आरोपियों की जमानत रद्द की
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामले में चार आरोपियों की जमानत को रद्द कर दिया है। यह मामला एक भाजपा समर्थक पर हमले और उसकी पत्नी के साथ जबरन कपड़े उतारने व यौन उत्पीड़न के प्रयास से जुड़ा है। शीर्ष अदालत ने इस घटना को “लोकतंत्र की जड़ों पर गंभीर हमला” बताया है।
दो दिन में आत्मसमर्पण का आदेश
गुरुवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत को रद्द करते हुए आरोपियों को 48 घंटे के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। यह निर्णय केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की अपील पर आया, जिसने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
अदालत ने कहा— “झकझोर देने वाले आरोप”
अदालत ने कहा कि इस मामले के आरोप इतने गंभीर हैं कि वे न्यायिक अंतरात्मा को झकझोर देते हैं। पीठ ने यह भी कहा कि आरोपियों द्वारा ट्रायल को प्रभावित करने की संभावना स्पष्ट रूप से दिख रही है।
क्या है मामला
यह घटना 2 मई 2021 की है, जब चुनाव परिणाम घोषित हुए थे। उसी रात आरोपियों ने गुमसिमा गांव में भाजपा समर्थक के घर पर हमला कर घर में तोड़फोड़ की। आरोप है कि उन्होंने उसकी पत्नी को जबरन निर्वस्त्र करने का प्रयास किया। पीड़िता ने केरोसीन डालकर आत्मदाह की चेतावनी दी, जिसके बाद हमलावर भाग निकले।
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स्थानीय पुलिस की लापरवाही पर नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई कि पीड़ित परिवार को 3 मई को FIR दर्ज कराने से मना कर दिया गया और गांव छोड़ने को कहा गया। FIR बाद में उच्च न्यायालय के आदेश पर दर्ज हुई थी।

CBI जांच और ट्रायल में देरी
19 अगस्त 2021 को हाई कोर्ट ने महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के मामलों की जांच CBI को सौंपी थी। कोर्ट ने कहा कि हमला राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित था और यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने की कोशिश थी। सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि 2022 में चार्जशीट दाखिल होने के बावजूद ट्रायल में प्रगति नहीं हुई है।
ट्रायल छह माह में पूरा करने का आदेश
अदालत ने ट्रायल कोर्ट को छह महीने के भीतर प्रक्रिया पूरी करने को कहा है। साथ ही, राज्य के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को शिकायतकर्ता और गवाहों को पूरी सुरक्षा देने का आदेश दिया है, ताकि वे बिना भय के गवाही दे सकें।
निर्देशों के उल्लंघन पर होगी कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि उसके आदेशों का उल्लंघन होता है, तो CBI या शिकायतकर्ता इस बारे में अदालत को सूचित कर सकते हैं, जिससे समय रहते उचित कार्रवाई की जा सके।